पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/२९९

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श्र

दक्षिण '्रफ्रिका का सत्यापह

करते हूं, कि हम सूनी कानून के सामने श्रपना सर नहीं भुऊावंगे, और न हम इतनी शक्ति भी अपने पास रखना चाहते हैंकि मौका पढ़ने पर, भारी मुमीग्रत केसमय, मंद परवाना दिखा कर छूट जायें। यदि कोई इस सभा में संत्रके साथ

अपना परवाना भी जलता दे श्रौर फल द्वीजाकर नया परवानां ते आवे, तो उसे कोई रोक नहीं सकता । पर जो'यह छुकम करना

चाहता हो, श्रीर जिसे यह सत्देह हो कि परीक्षा के समय शायद

मैंमज़बूत न रह सकूँगा, उसके लिए भी भ्रभी समय है। वह

अपना परवाना वापिस ले सकता है। भिसे अपना परवाना वापिस

लेने की इच्छा हो, उसे इस समय जरा भी लब्जाया संकोच न करना चाहिए | ल्ेञ्जां श्रौर संकोच का कोई कारण ही नहीं।

मैंवो इसे एक प्रकार की बद्दादुरी कहूँगा। हाँ, बाद में परताने

की नकल लेना जहर लज्ञा और वदनामी की बात कहीं जी सकती है। उससे कौम की हानि भी होगी। एक धात और है। को यह भी याद रखना चाहिए कि, सम्भव है, युद्ध वहुत दिन चले | हम यह भी जानते हैंकि हम मे से रितने ही अपने

निश्चय से गिर गये हूँ,शत यह तो जाहिरा वात है. कि अब जो

बचे रह गये हैं.उनको कौम की गाड़ी ओर भी अधिक ताकत के

साथ सींचनी होगी। इसलिए आप सबसे भेरी यह सलाह है कि आज का यह साहप-कार्य करने से पहले हम इन सब बातों का पूर/-पूरा विचार कर लें।

भेरे भाषण के बीच में सभा से यह आवाज तो उठती ही र्ह्वीथीकि 'हमे परवानों की जरूरत नहीं है |उनको जता दीजिए ! अन्त मेंमेंने उन ज्ञोगों को जो इस काये का विरोध जाहिर रा को इच्छा रखते हों, झपना पत्त सभा के सामने रखने के

५ कहा। पर कोई खड़ा ते हुआ। बह प्रराता मित्र मोर