पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३०

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२५. इतिहास अपना कब्जा करते हुए आपस में लड़ पड़ीं। झगड़े हुए लड़ाइयाँ भी हुई। मजूबा की पहाड़ी पर छात्रज लोग हारे भी। यह मजूबा का दाग रह गया और पककर फोड़ा बन गया । १८६६ से १६०२ तक जो संसार- प्रसिद्ध बोअर युद्ध हुआ उसमें वह फोड़ा फूटा और जनरल क्रोम्जे को जब लार्ड राबर्टसन ने शिकस्त दी ae उन्होने स्वर्गीय महारानी विक्टोरिया को तार दिया - 'मजुना का बदला ले लिया।' पहले की चकम इन दोनो के परन्तु जब पहली बोअर युद्ध के बीच हुई तब बहुतेरे बलन्दा लोग सत्ता भी कुबूत करना नहीं चाहते थे। इससे वे दक्षिण अफ्रीका के भीतरी भागों में चले गये । फलतः 'ट्रान्सवाल' और 'आरेंज फ्री-स्टेट' को सृष्टि हुई । अंगरेजों की नाम मात्र की यही वलन्दा अथवा उचलोग दक्षिण अफ्रीका में 'बोअर नाम से प्रसिद्ध हुए। बच्चा जिस प्रकार माशा की सेवा करता है, उसी प्रकार उन्होंने अपनी भाषा की सेवा करके उसको सुरक्षित रक्खा है। उनकी नस-नस में यह बात पैठ गयी है कि आजादी का घनिष्ठ सम्बन्ध भाषा से है। कितने ही आक्रमण होने पर भी वे अपनी मातृभाषा की रक्षा कर रहे हैं। अब इस भाषा ने ऐसा नवीन रूप धारण कर लिया है जो वहाँ के लोगों को अनुकृत भी है। वे हालैंड के साथ अपना घनिष्ठ सम्बन्ध न रख सके । इससे जिस प्रकार संस्कृत से प्राकृत भाषायें निकली हैं, उसी प्रकार डच से अपभ्रष्ट डच बोअर लोग बोलने लगे। पर अब वे अपने बच्चो पर गैरजरूरी भार डालना नहीं चाहते । इसलिए स्थायी रूप दे दिया है और उसे उनकी पुस्तकें लिखी जाती हैं। दी जाती है। धारा-सभा में भी भाषण करते हैं। यूनियन के उन्होंने इस प्राकृस बोली को 'टाल' कहते हैं । उसी भाषा मे बालको को शिक्षा उसी भाषा में बोअर सभासद ढाल भाषा में ही