पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३१

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दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह २६ बाद सारे दक्षिण अफ्रीका में दोनों भाषायें दाल अथवा दर और अग्रेजी एफसी प्रतिष्ठित है, यहाँतक कि वहाँ नियम है फि सरकारी गजट दोनों भाषाओं में प्रकाशित होना चाहिए थोर धारासभा की कार्रवाई भी दोनों भाषाओं में great चाहिए। चोर लोग सादगी से रहनेवाले और पक्के धर्मनिष्ठ वे विशाल खेतों में बसते हैं। हम वहाँके सेतों के विस्तार का अंदाज तक नहीं कर सकते । हमारे यहाँ के किसानों के खेत २-३ बौधे से अधिक नहीं होते । इससे भी कम होते हैं। वहाँ तों का न पूछिए, सैकड़ों अथवा हजारो बीघा जमीन एक-एक शख् के कब्जे में होती है। इन किसानों को यह भी लोन नहीं होता कि तमाम जमीन जोत डालें। और यदि कोई कहे तो कहते हैं- "पड़ी न रहे। जिसे हम न जीत पायेंगे उसे हमारी श्रीला जोतेगी ।" एक बोअर युद्ध कला में पूरा-पूरा प्रवीण हाता है ! चे चाहे अपने आपस में भले ही लड़-झगड़ लें, पर उन्हें अपनी श्रवादी इतनी प्यारी होती है कि जब उनपर किसी का हमला होता है तब तमाम चोअर उसका सामना करने को तैयार हो जाते हैं और एक शरीर की तरह लढते हैं। उन्हें कवायद -परेड की भारी जरूरत नहीं होती, क्योंकि लड़ना तो उनकी सारी आदि का स्वभाव या गुण है। जनरल स्मट्स, जनरल डोबेट, मनरल जोंग दोनों बड़े वकील है, और बड़े कृषिकार हूँ. और तीनों जैसे ही लड़वैये भी हैं। अनरक्ष वोथा के पास ६ इजार एक्ड़ का एक खेत था। खेतो को तमाम पेचीदगियाँ वे जानते थे । सुलह के लिए यूरोप गये, तब उनके सम्बन्ध में यह कहा - गया था कि मेड़ों की परीक्षा में उनके जैसा निपुण यूरोप में भी शायद ही कोई हो ! ये जनरल बोया स्वर्गीय प्रेसीडेंट क्रूगर के