पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३२

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-२७ इतिहास स्थानापन्न हुए थे । वे अच्छी अंग्रेजी जानते थे । पर जब वे इलैण्ड में सम्राट् से तथा मन्त्रि मण्डल से मिजे, तब उन्होंने इमेशा अपनी ही मातृभाषा में बात-चीत करना पसन्द किया । कौन कह सकता है कि यह यथार्थ नहीं था ! अंग्रेजी -भाषा के ज्ञान का परिचय देने के लिए मूलें कर बैठने के खतरे में क्यों पड़े ? मौजू शब्द की खोज करते हुए अपनी विचार-धारा को भंग करने का साहस किसलिए करें ? मन्त्रि मण्डल यदि केवल अनजान में कुछ अपरिचित मुहावरों का प्रयोग करे; वे उनका अर्थ न समझ पावे और कुछ-का- कुछ लवा निकल जाये, शायद गड़बड़ा भी जायें और उससे अपनी हानि कर बैठें तो ऐसी भारी भूल वे क्यों करें ? बोर पुरुष जिस प्रकार बहादुर हैं और सादगी से रहते है, उसी प्रकार उनकी स्त्रियाँ भी वीर और सादगी पसन्द हैं। वोअर युद्ध के समय बोअर लोगो ने जो अपना इतना खून बहाया, वह उनकी स्त्रियों की हिम्मत और उत्साह के बल पर । स्त्रियो को न तो विधवा हो जाने का डर था, न भविष्य का डर था। मैं ऊपर कह चुका हूँ कि वोश्वर लोग कट्टर धर्मनिष्ठ हैं, ईसाई है। पर यह नहीं कह सकते कि ईसा मसीह के 'न्यू टेस्टामेट को मानते हैं। सच पूछिए तो यूरोप भी 'न्यू टेस्टामेंट' को कहाँ मानता है ? फिर भी यूरोप में 'न्यू टेस्टामेंट' को मानने का दावा जरूर किया जाता है । शँ, कितने ही यूरोपचासी अलबते -ईसामसीह के शान्ति-धर्म को जानते और पालते हैं। पर बोझर लोग तो 'न्यू टेस्टामेंट' का नाममात्र जानते हैं। हाँ, ओल्ड टेस्टामेंट कोबी भावुकता के साथ पढ़ते हैं और उनकी लड़ाइयों के वनों को रटते हैं। हजरत मूसा की 'दाँत के बदले दाँत और