पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३१३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

श्प

दत्तिण श्रफ्रिका का सत्यामह

परवाने जाँचनेवाले सरकारी अधिकारी उनको आनते थे। सोराव वी.

ने कहें केवल इसी हेतुसेटान्सवाल मेंप्रवेश फर रहाहूँकि

देखे सरकार मेरा क्या करती है) यदि आप मेरी अंग्रेजी की परीत्षा लेना चाहे तो सवाल कोजिए। और अगर गिरफ्तार करनों हो, तो यह खड़ा हूँ,गिरफ्तार कर लीजिए ।? अधिकारी नेकहा «मुत्ते यहमाठूम है. कि आप श्रप्नेजी जानते हैं | इसलिए

परीक्षा तो कुछ क्षेना-लिवाना है.नहीं |ओर न आपकी गिरफ्तार

फरने के लिए मेरे पास कोई हुक्म ही है । इसलिए जहाँ जाना ही। आप सुखपूर्षक्ष जाइएगा । यदि आपको गिरफ्तार करा आवश्यक मालूम हुआ, तो आप जहाँ कहीं जानेंगे, सरकार खब आपकी गिरफ्तार कर लेगी ।

इस तरहसोरावजी वोभ्रकल्पित रुप से और झ्रचानक जोहातसवर्ग तक आ पहुँचे ।हम सबने उनका बढ़ेहर्ष केसाथ खागतकिया। किसीको यह आशा तक नहीं थी कि सरकार सोराबजी' को दान्सवात के सरहदी स्टेशन वाह्सरेस्ट सेकरा भी आगे बढ़ देगी। कई हक होता हैकि जब हम किसी मार्ग पर विचार

पूर्वक और निर्भयता केसाथ कदम बढ़ाते घल्लेजाते हैं, तवसरकार

उसका विरोध करने के लिएतैयार नहीं होती। प्रत्येक सरकार का प्राय यही द्वाल द्वोता हे । मामूली आ्रन्दोतनों केसमय सरकार का कोई भी अधिकारी अपने विभाग मे इतना गहरा मस्तिष्क छा हुए नहीं रहता कि जिससे चह प्रत्येक विषय मे अपने विचार

पहले दी से कायम फरके रक्खे, और उत्तपर अमल करने के छिए तथारियोँ भी कर खख्ते। दूसरे, अधिकारी को अनेक प्रकार के.

फाम होतेहैं,जिससे उसका ध्यान बेंट जाता है। इसके अलावा » उसे अधिकार फा छुछ मद्‌ मी होता है, जिसके कारण बह जरा जापरचाद सा रहता है । वह यह मान लेता हैकि दर तरह