पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३१४

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सोराबजी शापुरजी अडाजनिया

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के आन्दोलन का सामना करके उसे दबा देना सत्ताधीश के बॉये हाथ का खेल है । इसके विपरीत आन्दोलन करने बाला यदि

अपने ध्येय भौर उसके साधनों को भली भांति जानता हो, और साथ ही यदि चह अपनी योजना पर दृद हो, तब वो बह हमेशा पूरी तरह तैयार ही रहता है । क्योंकि उसे तो रात दिन फेवल एक

ही बात का विचार या चिन्ता रहती है'। इसलिए यदि वह सचाई के साथ उचित मार्ग पर ही कदम रखता चल्ता जाय, तो वह अवश्य ही सरकार से हमेशा आगे रहेगा । संसार की जो कितनी दहीहत्नचलें निष्मल होती हैं, उनका प्रधान कारण सरकार की

अप सत्ता नहीं, वल्कि आन्दोलनकारियों मे उपयुक्त गुणों का शभाष ही होता है । गरज यह कि सरकार की गफलत के कारण कद्दिए या जान बूक कर निश्चित की हुई उसकी पहली नीति के अनुसार कह्टिए सोराबज्ञी जोहान्सबगे तक आ पहुचे |इधर न तो स्थानीय अधिकारी को इस निपय में कुछ खयाल था क्रि सोराबन्ी के जेसे

मामत्षे सें क्या करना चाहिए, और न उपरसे ही उसे कोई सूचना मिली थी । सोराबजी के इस तरह एकाएक जोहान्सब्र्ग पहुँच जाने से फोम का उत्साह खूब घढ़ गया। कितने ही युवक तो यही

समझ गये कि सरकार हार गई। और शीघ्र द्वीउसे सुलह भी

करनी दोगी। पर यह खप्न अ्रधिक देर तक न टिका। शीघ्र ही

उन्हें इस बात को ठीक विपरीत सिद्ध होते हुए देखना पड़ा।

बल्कि उन्होंने तो यह भी देख जिया कि सुलह होने से पहले शायद अनेकों युवकों कोअपना वलिदान देना होगा।

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सोराबजी ने अपने पहुँचते ही आने की ख़बर वहाँ के पुलिस

झुपरिटेस्डेन्ट कोदेकर लिखा कि नवीन बत्ती वाले कानून के

अनुसार मेंअपने को ट्|न्सवाल मे रहने का हकदार मानताहैं!।