पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३१८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सेठ दाऊद महमद आदि का युद्ध मेंशामिल होना.

४३

देशाई, दरिलाल गांधी, रतनशी सोढा आदि शिक्षितों मे से थे। पहले सेठ दाऊद महमद का परिचय सुना दे | वह नेटा्

इण्डियन कांग्रेस के अध्यक्ष और दक्षिण अफ्रिका में आये हुए व्यापारियों मे सब से पुराने थे ।चह सूरती घुलत जमात के बोहरा थे। बड़े ही चतुर पुरुष । इस वातमेउत्की बराबरी करने वाले

वहुत ही थोड़े भारतीय गैंनेदक्षिण अफ्रिका मे देखे । उनकी

ग्राहक शक्ति बढ़ी तेज थी। अच्तर-ज्ञान तो मामूज़ी घा था पर

अनुभव से वद अंग्रेजी और डच भी अच्छी तरह बोल सकते थे । अंग्रेजी व्यापारियों केसाथ अपना काम चलाने मे उन्हें. जरा भी कठिनाई नहीं पड़ती थी। उत्तकी दानशीलता प्रसिद्ध थी। नित्य

पचास मिहसान से कम तो कभी उनके यहाँ होते द्वी नहीं थे। कौमी चंदों मेंउनकानाम अग्रसरों में ही रहता। उनके एक

लड़का था। लड़का क्या था,एकअमूल्य रत्न था। चारित््य मेउनसे भी श्रेष्ठ, और हृदय स्फटिक के समान । उसके चारित्य-बेग को

दाझूद सेठ ने कभी नहीं रोका ।दाऊद सेठ अपने लड़के की पूजा करते थे !यह अत्युक्ति नहीं, यथार्थ सत्य है। बह चाहते थे,कि

उनका एक भी ऐव हसन को नहीं लगते पावे। इंग्लेण्ड सेजकर उन्होंने उसे बढ़िया शिक्षः दी | पर दुर्भाग्य से दाऊद सेठ उस

लड़केसेभरजवानी मेंहाथधोबैठे| हसन को क्षय ने घेरा, और उसका प्राण हरण कर लिया |वह घाव कभी नहीं सरा। हसन के साथ-साथ भारतीय जनता की बड़ी-बढड़ी आशाय मिट्टी में

मिल गई । हसन के लिए तो हिंदूऔर मुसलमान दोनों अपनी

दाहिनी वाई आँखों के सामान थे। उसका सत्य तेजी था। आज दाऊद सेट भी नहीं रहे !उस कालनेकहदी किसी को छोड़ा है !

पारसी रुस्‍्तमजी का परिचय में पहले ही दे चुका हूँ।

शिक्षितों सें सेपाठक अनेकों को जानतेहैं| इनएष्ठों कोलिखते