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दक्तिण अफरिका का सत्याग्रह
तलों पर मैंनेलाह ऐम्प्टद्वित केसाथ भी चर्चा करली थी। भौर यह करने का उद्देश फ्ेवज्ञ यही था कि उनका कहीं यह खयाल न हो जाय
कि मैंने अपने दिचारों को छिपाकर उनके ताम का और
उन्तकी दी हुई सहायता का दक्षिण अफ्रिका के काम के किए दुरुपयोग किया । उनके साथ इस विषय पर जो चर्चा हुईं वह
मुझे इसेशा याद रहेगी, उनके घर पर कोई बीमार था, तथापि वह मुझे मि्ते थे। और यद्यपि 'हिन्द-स्वराज” मे लिखे मेरे विचारों
से वह पूरी तरह सहमत तोनहीं थे, वयापि दक्षिण अफ्रिक मे अन्त तक वह यथाशक्ति भाग लेते रहे। और हमारे ा केयुद्ध बीच का वह स्नेह-सस्बन्ध भी अन्त तक उसी प्रकार मघुर बना रहा ।