पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३४०

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टॉल्स्टॉय फार्म इस वार जो डेप्युटेशन इंग्लेण्ड पहुँचा था, वह लौटते समय अच्छी खबर नहीं लाया | मुझे ६स बात की विशेष चिन्ता नहीं

थी कि लोग लाढ़ एम्टहिल की थातों से क्या नतीजा निका-

लेंगे। मेंयह भी जानता था कि अन्त तक मेरा साथ कौन-कौन

देंगे। सत्याप्रह विपयेक मेरे विचार और भी परिपक्व हो गये । मैंउसकी व्यापकता और अलौकिकता को और भी अविक अच्छी

तरह समम सकता था, इसलिए मुझे शांति थी--इंग्लेण्ड स्नेवापस

लौटते समय जह्याज़ से मैंने “हिन्द-स्वराज” को लिखा । उसका हेतु फेवल सत्याग्रह की भव्यता को दिखाना मात्र था |चह पुस्तक सेरी भ्रद्धा कानाप है । इसलिए लड़ने वालों की संख्या का सवात्ञ दही मेरे सामने खड़ा नहीं होता था।

पर मुझे धन की जरूर चिन्ता रहती थी । लम्बे समय तक युद्ध

का संचालन और पास काफी धन का न होना, यह एक भारी कठिनाई मेरे सामने खड़ी थी । माना कि विनां घन के भी युद्ध दोसकता है, कई बार घन सत्य के युद्ध को दूषित कर देता हे,परमात्मा अक्सर सत्याम्रद्दी को--मुमुक्षु कोआवश्यकता से अधिक धन देता ही नहीं, इत्यादि बातों का ज्ञान उस समय मुझे आज की तरह स्पष्ट

रूप से नहीं था। पर मेंआत्तिक हूँ। परमात्मा, ते,उस ,अब॒स्था