पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३४३

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द्ष्घ

दत्तिण अफिका का सत्याग्रह

एक साथ हो सकती थीं। इस तरद वई प्रागतों ओर बई धस के भारतीयों को एक साथ रहने का सुश्रवसर मिल सवता था। पर ऐसा स्थान मिले कैसे !शहर भे रहने जाते योशाप

बकरी को हटाकर डँट थो घुसाते बाली बात चरिवाथे दोती।

मासिक निर्वाह केजितनी रकस तो किराये मेंचल्ली जापी। फिर वहाँ सादगी से रहना भी मुश्किल। इतना होने पर भी शहर मेंइतना बढ़ा सकान शायद ही मिल सकता, जहाँ सभी इंडने मिलकर घर वैंठे कोई उपयोगी काम्र कर सकते । इसलिए हम

क्लोग इसी नतीजे पर पहुँचे कि वह स्थान म तो शहर से वहुत दूर ओर न वहुत नजदीक ही हो । फ्निक्स जहर एक ऐसा ही स्थति था। वहाँ से इस्डियन ओपीनियन अवाशित दो रहा था। ईई

खेती भी दो रही थी। दूसरी भी अनेकों सुविधाये थीं। पर व था जोहान्सवर्ग से ३०० मील की दूरी पर, हर्थात ३० है

रास्ते पर। इतनी दूर सत्याप्रहियों के छुटदम्बों को काना, लेजे

जरा मुश्किल और महँगा भी था। पर वे भी अपने घस्वार

छोड़कर इतनी दूर जाने को तैयार नहीं हो सकते थे। और अगर हो भी जावें तो सत्पाप्रहियों के घूटने पर रन्हें वहाँ भेजना आदि मी असम्भव-सा प्रतीत हुआ |

इसलिए स्थान तो दून्सवाल में और सो भी जोहान्सवर्ग के नजदीक ही होना जरूरी था। मि० क्लैलनवेक का परिचय मैं पहले दे चुका हूँ। उन्होंने ११०० एकड़ जमीन खरीदी, और वह सत्याप्रहियों के उपयोग के (लए दे दी |उस जमीन में कुछ फर्श

पौधे और एक छोटा-सा पाँच-सात मनुष्यों केरहने योग्य४ ४

भी था। करीब ही पानी का एक करना भी था। स्टेशन

यहाँसी

एक मील या और जोह्दान्सवर्ग २१ मील | बस इसी जमीन पर

मकान बॉध कर सत्याप्रद्दी कुटुन्तों कोबसाते का निश्चय किया।