दक्षिण अफ्रिका का सत्यामह
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इसके अल्लावा धदरेसाना, मोचीखाना आदि के लिए भी ५
मकान वा लेना आवश्यक था ।
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यहाँ पर जो लोग रहने के लिए आने वाले ये; वे गुना
मद्रास, आंध्र और उत्तर भारत के ये । धर्माठुसार मुसलमान, पारसी और ईसाई भी; थे। जगभग ४० वर्ण तीन बूढ़े,पाँच खियोँ और २५-३० बच्चे थे, जिनमें ४४ वालाय थीं । जो ईसाई थीं उन्हें और दूसरों को-भी सांधाहीर खियों में से
की आदत थी । मिं० कैलेनवेंफ काऔर मेरा अभिप्राथ था हि
पे बढ़ा अच्छा हो यदि मांसाहार की स्थान न दिया जाय। साल यह था कि ऐसे लोगों को कुछ समय के लिए भी सर्थ
छोड़ने केलिए किस तरह कहा जाय, जिन्हें जन्म ही से मी से कोई नफरत न हो, जो भपत्काज्न में ऐसे स्थान पर
रहेथे, और जिन्हे वचपन से उसका छृद अश्यास था; यदि
कहते तो खर्च वेहद वढ़ जाता | फिर बिन््हें गो-भांस खाने शी
आदत हो उन्हें क्या वह दिया जाय ) रसोई घर कितने दो " मेरा धर्म क्या था ?इन सब कुटुम्तों को द्रव्य देकर में मांसाहार
या गोमांस का व्यवहार करने के लिए, अप्रत्यक्ष रूप से क्यों ने
हो, सद्यायता तो कर ही रद्दा,था !अगर में यह नियम कर ई कि मांसाद्वारी फो सहायता नहीं मिल सकती तथ तो मुझे शी
निरामिपभोजी लोगों के वल् पर ही सत्याग्रह चक्षाना पढ़ेगा। पर यह हो भी फंसे सकता था? युद्ध वो वमाम भारतीयोंकेकिए था मेंअपना धर्मे स्पष्ट रूप सेसमझ गया । ईसाई या मुसलमान भा। यदि गोमास भी मागते तो भी उनको[मुझे वह देना दी भोः था। मैंउनको यहाँ आने से रोक नहीं सकता था |
पर प्रेस का वाली परमात्मा है। सैंने तोसरलता पूर्वकईसा