हॉल्ट्टॉय फार्स (२)
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बहिलों के सामने अपनी संकटापन्न दशा रकखी। भुसलमान
माता-पिताश्नों ने तो मुझे यह छुट्टी देरक्ल्ली थी, कि में केवल निरामिष पाकशाद्ा ही रख । बहनों के साथ मुझे बाद चीत कर लेना अभी बाकी था | उनके पुत्र यापति तो जेल्ञों मेही थे। वे
भी मुझे सम्मति देचुके थे।कई बार उनके साथ में ऐसे प्रसंग हस लोगों के सामने उपस्थित हुए थे। बहनों के साथ इतना निकट सम्बन्ध होने कायह पहला द्वी अवसर था। उनके
सामने सेने मकान सम्बन्धी असुविधा धनामाव और मेरे व्यक्तिगत विचार इन तीनों बातों कोरख दिया। साथ ही यह ,
कह कर मैंने उन्हें निभेय भी कर दिया था कि यदि वे चाहेंगी तो मैंतो उन्हें गोमास भी देदूगा |बहनों ने प्रम-भांव से यह स्वीकार कर लिया कि वे मांस नहीं मंगावेगी । खाना पकाने का काम बहनों को सौंप दिया गया। उनकी
सहायता के लिए हममे से एक दो पुरुष भी रख दिये गये जिन मे मेंतो अवश्य ही था । मेरी उपस्थिति छोटे-मोटे मतभेद के
मामलों को यो ही भगा दिया करती थी। यह भी त्तय हुआ कि भोजन बिलकुत सादा हो ।भोजन करमे का सय* भी निश्चित
कर दिया गया |सब के लिए पाकशाज्ञा एक ही रखी गई। सब एक साथ ही भोजन करते | सब अपने अपने व्तेनभी साफ कर लिया करते |साधेजनिक बर्तन साफ करने के लिए बारियाँ
झुकरेर।कर दी गई थीं। मुझे यहाँ पर यह कह देना चाहिए कि टॉल्टटॉय फ्रामे बहुत दिन तक चलता रद्द, पर वहाँ न तो कभी
भाइयों ने मांसाहार के लिए इच्छा जाहिर की और न्त बहनों ने
शराब तंबाकू आदि तो पहले ही से बन्द थे । मेंपहले लिख चुका हूँ, कि हमार यह भी आप्ह था कि मकान बांधने का काम हसी-हम कर ले। राज तो स्वयं देल्ेनवेक