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दक्षिण अ्रफ्रिका का सत्याप्रदद
ही ये । उन्होंने एक और यूरोपियन साथी दूढ़ लिवा। एक गुजरावो सुतार ने मुफ्त सद्दायता देना स्वीकार किया, ओर वही दूसरे एक सुतार को भी कम मजदूरी पर तय कर ले आया | शेष मजदूरों का काम हम ज़ोगों ने खुद ही कर लिया । हम क्षोगों में
जो मजबूत ओर पूर्तीलि चदन वाल्ते थे उर्दोंने तोहृद कर दी। विहारी नामक एक बढ़िया सत्याग्रही था। उसने बढ़ई का
आधा कास अपने जिम्मे ले रिया | स्वच्छता रखना, शहर में
जाकर धहाँसे सब समान बगेरा लाना आदि काम सिंह फे समान बद्दादुर य्ब्री नायडूनेअपने जिम्मे ले लिया । इस द्ुकड़ी मेंएक माई प्रागजी देसाई थे। उन्होंने अपने जीवन
में कभी धूप जाड़ा नहीं सहा था। और यहां तो जाडा था, घूप थी
और वारिश की मौसिम थी। हमने अपना श्रीगणेश तो तम्वूमेंरहकर दिया था । मझान बंध कर तेथार हों,तब उनमें सोये ।करोव ” दो मद्दीनो के अन्दर मकान तैयार हो गये मकान टीन के थे; इसलिए उनकी बनाने मे कोई देय नहीं लगी। आवश्यक
आकार प्रकार को लकड़ी तैयार मिल्ल सकती थी। केवल नापतृप
कर टुक्डें मात्र करना पढ़ते। दरवाजे खिड़कियां आदि व्यादा नहीं बनाने थे इसलिए इतने थोड़े समय मे सभी मकान तैयार हो गये पर इस काम-फाज ने भाई प्रागजी की खुब ख़बम ले
छात्ती ।जेल को वनित्वव फामे का काम जरूर हो अधिक सख्त था। एक हिन तो परिश्रम और बुखार के कारण वह वेहोश तक हो गये। पर बह यों इतनी जल्दी हारने वाले आदमी ; नहीं थे। यहाँ उन्होंने अपने शरीर को पूरीतरह सिहनत पर चढ़ा दिया, और अन्त में इतनी शक्ति प्राप्त करली कि वह सबके साथ साथ काम करने लग गये | ३
यही हाल जोसेफ रॉयपन का था । वह ते वैरिस्टर ये पर उन्हें