पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३४९

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दक्षिण श्रक्रिका था सत्पाप्रह

हाँ, पो सैर फी वाव |जिनको सेर करनेकेलिए जोहान्सवरग

जानेकीइच्छाहोती,पे सप्नाद में एक था दो बार जाते।पर

उसीदिललौटआते।मैंपहलेहीकहचुका हूँकिफासला ३! मील का था। पैदल जाने के इस नियमसेसैकड़ों रुपये बचगये।

और पेदत्त जाने वालों कोभी वडा लाभ हुआ | किततनों हीको

ते चक्षने कानवीन अश्यास हो गया। नियम यह था कि इस तरद जाने बाज्ञों कोरात के दो बजे उठकर २॥ बजे निकत

पढ़ना चाहिए। सब छ; से सात घंटों के अंदर जोहान्सवर्ग पहुंच

जाते। कमरसेकमसमयमेंपहुंचने वालेको फरीब्र चारघंदे भौर अ्रठ्ारह मिनिट लगते।

पाठक यह खयाल न करले कि ये नियम हद से ज्यादा कठोर

ये।सभीवढ़ेप्रेसपूर्वक इनका पालन करते थे। वल्लात्वार सेतो_

मैंएकभीश्ादमीकोनहींरोकसकता था| नौजवान तोक्या

सफर में,भौर क्या आश्रम मे,सभी काम हँसते हँसते भोर हुए कर डालते । मजदूरी करते समय वे इतनी ऊपम मचाते क्रि उन्हेंरोकते-रोकते मुशिकल हो जाती ।आश्रम पर तो नियम बना लिया था कि बच्चों सेउतना ही व्मम लिया जाय, जित॑ना उन्हेंखुश रखते हुए लिया जा ,सके |पर मजा यह कि

इसके कारण कभी फम कामनहींहुआ।

परत्वानों की कया समम ने योग्य है। इतली

बड़ी बरी थी पर कहीं किसीको कूढ़ा-कचरा, मैला, या जूठन हूढे नहीं मिक्

सकती थी। सभी कृष्दा-कचरा एक गढहे मेंडाल कर ऊपर से डाल दो जाती । रास्ते भे कोई पानी तक नहीं ा था। हकहै पानी बर्तनों से एकन्र कर जिया जाता, और पेढ़ोडालत ं में जाठ। जूहन और साथ के कचरे से सुंदर खाद छाल दियाँ बन जाता रहने फे सकान के नजदीक जमी न मेंएक चौरस टुकड़ा ढेढ़ फुट गदर