टॉल्टॉय फार्म (२)
रा
खोद रखा था। उसी में सब मैज्ञा गाड़ दिया जाता। और ऊपर से खुदी हुई मिट्टी दबा दी जातो । जरा,भी दुगध नहीं आती थी। सकक््खी तक वहाँ नहीं मिनभिनाती थीं। सतलब यहद्द कि किसी को यह खयाज्ञ तक नहीं होता था कि वहां मैत्ञा गढ़ा हुआ है | अत्ावा इसके, खेत को भी सुंदर खाद मित्ता रहता |अगर दस सेले कासदुपयोग करना सीखल तो लाखों रुपयों का खाद
बचाले और स्वयं अनेक रोगों से बच जावें | मलोत्सगग सम्बन्धी हमारी कुटेब के कारण दम पवित्र नदियों के किनारों के खराब
करते हैं,और मक्खियों की पैदायश को बढाते हैं। और नहा कर साफ द्वो लेने पर भी हमारी इस बेहेंदी लापरवाही के कारण खुली बिष्टा पर बेठी हुई मक्खी को हम अपने शरीर का सश करने देतेहैं। एक छोटी सी क़॒द्नली हमें बहुत भारी गंदगी
से बचा सकती है| चलने की राष्ट पर मैला डालना, थुकता, नाक साफ करना, यद्द सब ईश्वर ओर भनुष्य के प्रति महान अपराध है | इसमें दया का अभाव है | जो मनुष्य जंगक्ष में रद्द कर भी अपनी विष्ठा को मिट्टी मे नहीं दबा देता, बह दंढ का पात्र है। अब हमारा काम यह था कि सत्याम्रद्दी कुटुम्तों को उद्यमी
रकखें, पेसे बचाव, ओर अन्ततः हम स्वाश्रयी घन जावे। हममे सोचा कि अगर हम इतना कर गुजरे तो चाहे जितने समय तक ज्ञड सकेंगे। जूतों काखच भी तो था ही | बंद जूते पहनने से गरसी मे तो बड़ी हानि होती हे । सारे पैर मेपसीना हो आता
हैऔर वह नाजुक हो जाता है । हमारे जेसी आबोहवा वाले देशों में रहने वालों को तो मोजों की आवश्यकता ही नहीं है ।
हो, कंकड, पत्थर, कांटा आदि से पेर की रक्षा करने के लिए
हसने एक हद तक जूतेको आवश्यक माना था । इसलिए हससे,