पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३५

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दक्षिण अफ्रौका का सत्याग्रह

रे

का यह खयाक् नहीं बनाना चाहता था कि सछुद के समय में

मी इनमें मत-मेद नहीं होसकता अथवा कोई कमजोरी का परिचय नहीं देसकता | बोभरों मेंभी लाढे मिलनर ऐसा दल

खड़ा कर सके, जो आसानी से राजी हो गया और मान लिया कि इनकी मदद से में घारा-सभा को चसका सकूँगा। एक

नाटककार भी मुख्य पात्र केबिना अपने नाटक को सुशोमित

नहीं कर सकता । तो इस जटिक्ष और दुर्गम ससार में कारोबार

करनेवाला मनुष्य यदि मुझय पात्र को भूलकर सफल्ञ होने को आशा रखे वो उसे पागज्ञ समझना चाहिए। सचमुच यही दशा

लाडे मिलनर की हुई |और यद्द भी कट्दा जाता था कि उन्होंने घमकी देतो दी, परन्तु ट्रान्तवाल और फ्री स्टेट का कार्य

सम़्ालन जनरल वोथा के विना करना उन्हें इतना कठिन हो गया; कि वेअपने बगीचे मेंचितातुर और वदहबास नज़र श्राते ! जनरल्ष बोधा ने स्पष्ट शब्दों मेंकद दिया कि फ्रोनिखन के सुलहनामे का श्र में तो स्पष्ट तौर पर यही सममता हूँ.कि बोअर लोगों को अपनी भीतरी व्यवस्था का पूरा-पूरा अधिकार तुरत मिलेगा, और उन्दोंने कद्दा 'यदि ऐसा न होता तो मैं उसपर

कभी दस्तखत न करता! । क्ाडे किचनर ने इसके जवाब में यह कहा फि हमले जनरत्ञ वोथा को किसी तरह ऐसा विश्वास

नही दिलाया था। बोशर लोग ज्योंजज्यों विश्वास-पात्र साबित होते जायेंगे त्यो-त्यों धीरे घीरे उन्हें स्वतन्त्रता मित्रतों जापगी!।

अब इन दोनों का उन्‍्साफ कोन करे | यदि कोई पच को बात

कहता तो भी जनरल बोथा क्यों मानने लगे ?इम समय बड़ी

सरकार ने जो इन्साफ फिया बह उसे शोभा देने लायक था। उसमे मजूर किया कि प्रतिपक्ष और उसमे भी निर्वल पक्त सममौने का जो अथ समस्त हो वह अथे सबत्त पक्ष को स्ीकार