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दक्षिण अफ्रिका का सत्याग्रह
इतिहास-भूगोज्ञ का दुछ ज्ञान देकर कुछ-कुछ लिखना भी सिखाता: थां। कुछेक को अंकगशणित भी पढ़ाता था। इस तरह गाड़ी चल्ना
ते जाता था| प्राथना के लिए कितने ही भजन पढ़ाये जाते ये । उनमे भाग लेने के लिए तामिल बालकों को भी ललचाता था |
वाज़्क और वालिकाय खतन्त्रता पूर्वक साथ-साथ बठते ये।
टॉल्टटॉय फार्म पर मेरा यह प्रयोग सव से अधिक निभय रहा।
जो खतन्त्रता मैंने उन्हें वहाँ दी ओर जिसका विकास मैंनेउनके अन्दर किया, वह खतन्त्रतु आज उन्हें देने कीतथा उसका विकास करने की हिम्मत मुझे भी नहीं है। मुझे वरावर यह खयाल बना रहता हैकि आज की वनिस्रत तब मेरा मन अधिक
निदोप था| इसका कारण मेरा अज्ञान भी'हो सकता है। उसके
वाद मुझे कई वार धोखा हुआ है, फई कडुवे अनुभव भी हुए
हैं। जिन्हें मेंकेवल निर्दोष समझता थावे सदोष साबित हुए. हैं। खुद अपने अन्दर गहराई के साथ देखने पर मैंने विकारों को छिपे हुए पाया है। इसलिए अव मेरा दिल दीन और रंके बन गया है।
किन्तु मुझे मेरे उस प्रयोग पर कोई पश्चाताप नहीं होता।
मेरी आत्मा तो यहभी गवाही देती है, कि इस प्रयोग के कारण
कोई खरादी नहीं पेदा हुईं।पर जिस तरद्द दूध 'का जला छाथ
केछू कर पीता है, छुछ बेसी ही दवालत अब मेरी हो गः
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- मनुष्य भद्धाअथवाथेयेकिसीदूसरे सेनहीं चुरा सकता।
'संशयात्मा विनश्वति' टॉल्टटॉय फामे पर मेरी हिम्मत और24
चरम सीमा को पहुंच गई थी। मेंपरमात्मा से बार-बार
प्रा ्थना,
कर्रद हूँकि वह मुझे फिर बही हिम्मत और श्रद्धा दे। पर वई
सुने तब न! उनके सामने तो मेरे जैसे असंस्य भिखारी हैं| हां