पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३५७

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मरे

दक्षिण अफ्रिका का सत्याप्रद

यह प्रयोग मैंने इसी भाव से दिया था श्रौर माता पिताओं ने मं मुमपर असीम विश्वास डात्ध फर प्रयोग करने दिया। एक दिन इन्हीं बालिफाओ्ों ने या किसी बालफ नेमुझे खबर

दी कि एक युवक नेउन्र दो बालाओं से गुद्द छेड़-ाड़ की। मे काप गया ! तलाश किया, बात सच्ची थी । युवक फी सममाया। पर यह काफी न था । मैने यह चाहा कि इन वालाओं के शर्णर

पर कोई ऐसा ही पिन्द हो जिसे इरेफ युवक समझ सके भौर

जान जाय कि इन बात़ाशों की भर फदापि दुद्ृष्टि सेनहींदेखना चाहिए |वालिफाये भी सममल्े कि उनकी पवित्द्धा पर कंदापि कोई

हाथ नहींढाल सकता। सीता को विकारी रावण सर नहीं कर सका । यद्यपि राम तो दूर थे। ऐसा फौनसा दिन्ह मैंउत बालिकाओं थो दे सकता था, जिस से वेअपने को सुरक्षित समझने लगजायें, धौर दूसरे उन्हें देखकर नि्विकार रहूँ। रात भर जागा । सुबह वाशिकाओं को सममाया |बिना किसी तरद चौंउने देते हुए मेंने

उन्हेंसममाया कि येमुझेअपने सुन्दर कात्ते जम्वे केश काट डालते

की इजाजत दें। फासमं पर हम आपस में ही एक दूसरे के वात

बना लिया करते थे। इसलिए चाज्ञ काटने की मशीन हमारे पास

रहती थी। पहले तो थे समझ ही नहीं सकी । बढ़ी खियों को

पदत्ते दीसमझा रक्‍्खा था ) मेरी सूचना को तो वे नहीं सह सभी

पर मेरे हेतु कोजरूर समम सकी थीं इसलिए उनकी भी मुझे

मदद थी। तद़किया भव्य थीं। शिव-शिव, पर आज उनमें से

एक चक्ष बसी है। वह तेजस्विनी थी । दूसरी जिंदा है।वह अपनी गृहस्थी चला रही है । अंत में थेदोनों समझ गई । उसी क्षण इने

द्वा्थों ने, उस प्रसंगकोइस समय चित्रित करने वाले

हाथ ने उनके बात्ञों पर कैंची चला दी |वाद में बे में इस इन्हीं काये का

विश्लेषण कर सबको समा दिया गया। परिणाम सुन्दर