पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३५९

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दक्षिण श्रफ्रिफा का सत्याग्रह

से कई सीमे-पिरोने का काम अच्छी तरह कर सकती थीं। भर्त तमाम सीने का काम वेही करने लग गई । भोजन मेंचावत्ष, दाल्ल, तरकारी और कभी खीर | बस, यह

सामान्य नियम था | यह सब एक ही बर्तन मे परोसा जाता थाँ।

भोजन के लिए थाली के बदले जेज्ञ मेंमिलती हैउस तजफी

एक तश्तरी रकखी जाती थी। घम्मच लकड़ी के रहते; मिन्‍हें

हमने खुद 'अपने हाथों से बना लिया था। भोजन दिन मेंतीन

बार होता था। सुबद्द छः बजे गेहूकी रोटी और काफी, ग्याएई बजे दाज्न, भात तथा साग और शाम को साढ़े पाच बजे व्वारी का दलिया और दूध अथवा रोटी और फिर गेहूंकी कॉफी ।रत के नौ वजते ही सब सोने को चक्षे जाते। भोजन के बाद शाम

के सात-साढ़ें सात बजे प्र/्थना होती) प्रार्थनामेभजन द्वोते

और कभो-कभो रामायण तथा इस्तामी धर्म-मन्थों से कुब पढ़ा, जाता था। भजन अप्रेजी, गुजराती और हिंन्दी भी होते। कभी"

कभी तीनों भाषा के, ओर कभी-#भी किसी एक ही भाषा के |

काम पर कई ज्षोग एकादशी ब्रत करते थे। भाई कीतबाज

भी वह्दा पहुंचे । उन्हें लट्षन वगेरा को अच्छा अभ्यास था। उनको देखकर कई लोगों ने चातुर्मास श्रव किया । इन्हीं दिन

रोडभी आते ये |हम लोगों मे मुसलमान शरुवक्र भी थे। उन्हें रीज़ रखने के लिए उत्साहित फरना हमे अपना धर्म प्रतीत हुआ।

उनके लिए प्रात.काज्ञ तथा रात के भोजन की व्यवस्था भी कर दी

गई। रात फो खीर भ्रादि भी बनाई जाती। मासाद्वार तो था ही

नहीं और न किसी ने माँगा दी था| उसके प्रति सम्मान जादिए

परने फे लिए हम भी एक वार भोजन श्र्थात्‌ प्रदोष करते साधारणतया इम लोग सूर्यास्त से पहले पहल भोजन कर लिय

फरते । मुसज्ञमान लड़के थोड़े ही थे, इसलिए दूसरे सब सूर्यास्त