पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३६७

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दत्तिण श्रफ्रिका का मत्वाप्रह

धर

होततोाइसजेरमन केप्रयोगक्यापरिणाम द्वीवा। इसका नम झालट था। .

इसप्रयोगकेकारणयद्यपिसांपकाडरवोकमहोगयाथा

तथापि कोई यह न सममल्ले कि फार्म केअंदर किसी को सांप

का भय ही नहीं रहा अथवा सांप को सारने की सब की मनाई

थी। हिंसा-अ्िंधा और पाप का ्ञान प्राप्त कर क्लेना एक वात है

और उसके अनुसार आचरण करना दूसरी वात | जिसके दिल में सांप का डर है, और जो प्राण-त्याग करने के लिए तैयार नहीं है, बह संकट-समय मेंसांप को कभीनहीं छोड़ेगा। मुझे याद हैकि नेयहवोसव्थ ऐसाहीएककिस्साफार्मपरहुआथा। पाठकों ही अन्दाज से जान लिया दोगा कि फ्रामे पर सर्पों काहपद्रव

वहाँ खब रहा दोगा ।क्योंकि हम लोग वहाँ गये उससे पहले ही सिजन तीथी| वल्किकितनेदीसमयसेवह कोईबस्नहीं दिन था | एक मि० कैलनवेक के फमरेमेंअचानक ऐसी जगह एक सांप दिखा, जहाँ से उसे भगाना या पकडना भी करीब करीब

असम्भवथा। पहलेपहलफार्म केएक विद्यार्थीनेउसेदेखा।

उसमे मुझे बुज्ञाया और पूछा--कि श्रव क्या करना चाहिए ? उसे मारने की आज्ञा भी उसने चाही। वह्द बिना इजाजत भी सांप

को सार सकता था परन्तु साधारणवया क्षया गिदयार्थी ओर क्यों

कोई वात नहीं करतेथे। इससांप सकल म स्‍४ हक ष्ीले मैंने अपना धर्म सममा रा हे । यह

समयभी मुझे यह नहीं मालूम

मैंने वह आश्वा देने में हे

होता

सांप को द्वाथ में पकड़ने

इतली अथवा अन्य किसी प्रकार सेफार्मबासियों को निर्भय कर देने इतनी शक्ति न तो मुझ में तव थी और न भ्राज तक हसे श्राप

- कर सका हूँ।