पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३६९

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दतच्तिए अफिका फा सत्यामद

चूकने का वडा भारी हर था। भौर इसलिए वेवीर की तरण ७६ ये। छॉँइस सत्याग्रह के आरंभ में अधिकारियों की तरफ से

सत्याम्दियों कोजरूर हुछ कष्ट हुआ था। पहींनहीं तो जेश

के अधिकारी अत्यन्त कठोरता पूर्ण व्यवद्दर भी करते थे।

पर व्यो-थ्यों युद्ध भागे बदता गया त्यॉन्त्यों मेने देखा किवे नरम होतेगये,और फितने ही भ्रधिकारी तो नितान्त मधुरतापूरण व्यवद्दार करने लग गये | और जहा-जहयां उनके साथ अधिक समय तर्क

मेल-मिक्षाप का सम्बन्ध या प्रसंग पड़ता वह्दा वह्ठा तो उस भत्ते स्टेशन मास्टर की तरह वे सहायता तक करने क्ग गये) पाठक

यह न सममल्ले कि सत्याप्रददी जोग अ्रधिकारियों को रिश्वत देकर

अपने अनुकूल कर लिया करते होंगे। वह्ठा तो भ्रतुद्चित मांगे के

अवद्ञम्पन द्वारा सुविधायें प्राप्त करने काखयाल तक नहींकिया जावा था। पर ऐसा कोन होगा जिसे शिप्ट-सम्मत सुचिधाय मप्त करने फी इच्छा भी न हो ?चस इसी प्रकार फ्रीसुविधा अनेक स्थानों

पर सत्याम्रही प्राप्ततर सकते ये । यदि स्टेशन सास्टर उत्तदा भादमी

होवा तो नियम-संग ते करते हुए भी हमे अनेक अकार से सता सकता था, और ऐसे ज्यवद्वार के खिलाफ कोई शिकायत भी नहीं क्रीजा सकती थी |पर इसके विपरीत यदि वह भत्षा आदमी होता तो

नियमों का बिना किसी प्रकार उल्लंघन किये हमें अनेक अफार से

सहायता भी पहुँचा सकता था। और इसी तरह की सुषिधाये इस

काम के नजदीक वात्तेस्टेशन के स्टेशन-मास्टर से इम माप्त कर पके थे |पर इसका कारण थो था सत्याप्रहियों काविवेक, उनका

थेये; धनेक कष्ट सहने की क्षमता रखनेवाली उनकी सहन शक्ति" यदि एक अग्रस्तुत प्रसंग का सी यहाँ उत्तेख कर दूँ.शो भठु चित न होगा । श्गभग ३४ वर्ष से मुझे भोजन में सुधार झौर

अत्य घामिक, आर्थिक तथा आसेग्य विषयक प्रयोग करने का शौर