पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३७

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दचिय अफ्रीका का सत्याग्रह

श्र

और जोह्दान्सबर्ग मेंतो अग्रेजों काही प्रभाव है| अत्व यदि

चोश्रर लोग सारे दक्तिण-अफ्रीका में स्वतन्त्र प्रजासता का राज्य स्थापित करना धादें, तोयह मानों घर ही मे झगड़ा खढ़ा करना

हैऔर शायद आपस में लड़ाई भी चेत उठे। इससे दक्षिण-

श्फ्रीका त्रिटिश राज्य कहलाता है।

यह भी ज्ञानने लायक थात हैकि यूनियन का कानून किस

तरह बना | चारों रिय्रासतों कीधारासभाओं ने एफ्मत होकर

यूनियन का सगठन तैयार किया | सगठन ब्रिटिश पार्लमेन्ट को

अज्षरशः कुबूल करना पढा। आम-सभा में एक मद॒त्य ने एक

व्याकरण-दोप की ओर ध्यान खींचकर दूपित शब्द निकाल

डालने फी तजवीज पेश की | स्व० सर द्वेनरी केम्पवेल बैनरमेन मे उस चजवीज़ को नामंजूर करते हुए कह्य कि राज्य-कार्ये शुद्ध

व्याकरण के द्वारा नहीं चल्न सकता। यह सद्भठन प्रिटिश कार्येकारी-मण्ठहल और दक्षिण-अफ्रीका के राजकाजियों के सलाह-

मशपघरे के बाद तैयार हुआ है। उसके व्याकरण दोप त्रक को दूर करते का अधिकार ब्रिटिश पालंमेन्ट के लिए रक्‍्खा गया

है। अतएवं यह संगठन आम और उमराब दोनों मभाकश्रों में ज्यों का त्यों स्वीकार करना पढ़ा ।

इस सौके पर एक और बात भो लिखने लायक है। सगठस-

पन्न मेंकितनी ही धारायें ऐसी हैं जोएक तटस्थ मलुष्य को फिजूल सालूम होंगी। उससे खचे भीबहुत बढ गया है| यह / भात सगठन की रचना करनेवाल्ों के ध्यान के भीबाहर नहीं थी

फिर भी उनका दद्देश पूर्णता को पहुँचाना नहीं था, चल्कि यह

था कि छुछ घटा-बढ़ी करके एकमत हों और अपना प्रयत्न

सफल्ञ करें। इसोसे आजकत्त यूनियन की चार राजधानियाँ भानी जाती हैं,क्योंकि उप-रियासतों में सेकोई सी ऋपनी राज-