पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३८

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डरे

इतिहास

घानी का भहृत्त्छोड़ देने के लिए तैयार नहीं था। चारों रियासतों की स्थानीय घारा-सभायें भीकायम रखो गर्यी हैं। चारों रियासतों को गवर्नर जसा कोई पदाधिकारी जरूर चाहिए--इस-

लिए चार द्वाकिम मंजूर करने पड़े |सब लोग जानते हैं.कि चार

स्थानीय धारा सभायें, चार राजधानियाँ और चार हाकिम अजागल-स्तन की तरह फिजूल और एक आटम्बर मात्र हैं| पर इससे कहीं अफ्रीका के व्यवद्ार-कुशल राजकाजी लोग डरते

वाले थे ?आठम्बर होत हुए भी और यदि इससे अधिक खर्च हो तो भी चारों रियासतों की एकता होना वांछुनीय था। अतणएव उन्होंने बाहर के लोगों की टीका-टिप्पणी की चिन्ता किये बिना

चहदी किया जो उन्हें उचित दिखायी दिया, और ब्रिटिश पार्लभेंट

से मंजूर कराया | यह दक्षिण अफ्रीका का संक्षिप्त इतिद्ास मैंने पाठकों की जानकारी के लिए यहाँ देने की चेष्ट को है। उसके बिना सत्याग्रह के सहान सप्राम का रहस्य समम में न॒आता । ऐसे प्रदेश मेंहिन्दुस्तानी लोग किस ध्रकार आये और वहाँ सत्याम्रह-काल

के पहले किस तरह अपने ऊपर आयी आपत्तियों का मुकाबला किया, यह मूल विषय पर आने के पहले जानना जरूरी है ।