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दक्षिण अफ्रिफा का सत्यापा

ममात्षे बंद कर दिये गये थे ।जिम मकान मे 3 सोता। था इसी मकान से जरा झन्‍्दर फी तरफ, लुटयन फा भी मिलर लगादिया

जाता था। सब के गिलर में हो फम्बत राते थे, एक बिद्धाने का और एक झोदने फा। लफ्डी फा तकिया भी रहता था।

एक मप्नाद बीता, लुखाबन के शायर में तेम अवेश करने

त्ञगा, दमा फम हुआ, खांसी भी घट गई । पर रात को दमा

खाँसों दोनों सताते। मुझे तमापू का शक हुआ। मेंने दे

पूद्ठा |लुटाबन ने पट्टा 'में नहीं पीता! ।फिर एक दो दिन गये। पर साँती में फोई पक नहीं हुआ। अय छिपकर लुटवन

पर नजर रखने का निश्चय फिया। मत्र जमीन पर ही संतेथे

सर्पांदि का भय दो था ही। इसलिए म्ि० यैल्लनयेक ने मु

बिजली फी एक जेबी बत्ती देरक्त थी | त्रह भी एक रखते ये।

इस बत्ती को लेकर मेंसाता था। मैंने निश्चय किया कि एक

रात चित्तर ही में पड़े-पड़े जागू'। दरवाज्ञे से बाहर बरामदे में

मेरा बिस्तर लगा हुआ था, भौर दरवाज़े के अंदर नजदीक ही

लुगबन ल्षेट रह था। करीय आधी राव के लुटाबन फो खांसी आई। दियासलाई सुलगा कर उसने वीड़ी पीना शुरू किया ।मैंभी

घीरे से चुप चाप उसके विस्तर के पाप्त जा खड़ा हुआ और वत्ती

की कल को द्वाया | लुटावन घबडाया | बह समंक गया। वीड़ी घुका फर छठ खड़ा हुआ । और मेरे पेर पकड़ कर बोला "मैंने बढ़ा

गुनाद किया, अब मेंकभी तमालूनहींपीझंगा। आपको मैंने धोखा

दिया । मुझे आप साफ करे? यह कह कर वह गिड़ गिड़ाने ल्गा।

उसे आश्वासन पूर्वक फह्दा कि चीड़ी छोड़ने मे उसीका द्वित

था। मेरे अनुमान के अनुसार खाँसी ज़रूर मिट जानी चाहिए थी।

चट्दमिटी नहीं इसलिए मुझे शक हुआ। लुटावन कोवीड़ी घूटी भोर उसके साथ ही साथ दो तीन दिन भे दूमा और खांसी की