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दक्षिण भक्रिया का सत्यापह

ंरानों को भी सजाया जाय। तदनुसार फितने ही स्टेशनों फर सजाने फी उजामत भी एम सिल्त गई। यययवि, सामान्यतया गम इजाजत नहीं दीजाती । पर हमारी ' स्वागत फी तेयारियों वा

असर सत्ताधिकारियों पर भी पडा। हसलिए उन्होंने,भी जितनी

उनसे धन पड़ी सहानुभूति दियाई। मसलन, उेवज जोहान्सरर्ग

के स्टेशन को सजाने मेंही ४८मे लगभग १५ दिन लग गये । वहाँ हम लोगों ने एफ सुल्दर प्रवेश हार बनाया था ।

दत्तिण श्रक्रिफा केविषय में बहुत मुद्दे जानकारी तो करे

इंग्लैण्ड मेंही मिल चुड़ी थी। भारत-सचिव नेदक्षिण अफ्रिका की

सरकार फो गोसले का दरजा, साम्राज्य मे इसका स्थान, हृत्यादि पहले ही बता दिया था। पिन्‍्तु स्टीमर कर्पनी में टिकट तथा

व्यवस्था आदि करने की बात किसीफो कैसे सूक सकती थी?

गोखत्ञे जी को तवियत नाजुक थी। इसलिए उनको श्रच्छी फैपिन! और पक्षान्त की चडी आवश्यकता रहती । पर उन्हें तो साफ

उत्तर मिलगया फि ऐसी केबिन हैही नहीं। मुझे ठीक-ठीक पता

' नहीं है कि स्लवय॑ गोखलेजी नेया उनके और किसी मित्र नेइण्डिया

आफिस से इस बात की इत्तिता की। पर कस्पती केडायरेक्टर केनाम

इण्डिया आफिस की तरफ से पत्र पहुँचा |और जहाँ कोई फैविन

दी नहीं थी वहीं उनके लिए एक बढ़िया कैंवित तैयार हो गई।

उस पारम्भिक कटुता का अंत इस भधुरता के साथ हुआ |स्टीमर के

कीटनको भी गोखलेजी का वढ़िया स्वागत करने के लिए सूचना

पहुँची थी। इसलिए उनके इस सफर के दिन व्रद़ी शान्ति और

आनन्द के साथ वीते। गोखले उतने ही आनन्द भर विनोदशीलः

भी ये जितने बद् गम्भीर थे। स्टीमर के खेल बगेरों

भाग ज्ञेते ये।इसलिए स्दीमर के मुसाफिरों मे बह मेंबडेवहप्रियखूब, हो

...ये ।गोखलेजी को यूनियन सरकारकायह विनय-संदेश

भी पहुँचा