पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३९

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(३) दालिण-अफीका मेंभारतीयों काआगमन पूछे अध्याय में हम यह देख चुके कि नेटात में अंग्रे ज । उन्होंने जुलुओं से कितने ही हक आबसे

ले किये |अनुभव से वे यह भी देख सके कि नेटाल मेंगन्ना,

चाय और काफी की पेदायश भी वढ़ी अच्छी होती है. और

बढ़े पेमाते परइसकी खेती करने के लिए हजारों मजदूरों की आवश्यकता है । बिना उनकी सहायता केवज् पॉँच-पच्चीस अग्नेज-परिवार ऐसी फसल नही पेढा कर सकते। उन्होंने हथ-

शियों को यह काम करने के लिए लत्नचाया और दराया भी।

पर अब वहद्द गुल्नामी-कानून न रह था। अत. वे सफलता पाने के लिए काफी चल-प्रयोग न कर सके। हवशी लोग अधिक मेहनत नहीं करते | छः सद्दीने वक मामूली मेहनत करके भी वे अपनी रोजी अच्छी तरह कमा सकते हैं। फिर किसी मालिक के यहोँ वे अधिक दिन तक काम करने के लिए अपने

आपको क्‍यों बॉय लें? और जबतक स्थायी मजदूर न मिले

तबतक अंग्रेज लोग अपने उद्देश्य को पूरानहीं कर सकते ये । अतः उन क्ोगों नेभारत-सरकार से पत्र-ध्यवह्ार शुरू किया, और मजदूरों की सद्दायता माँगी। भारत-सरकार ने नेटाल के