पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३८१

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दत्तिण ध्रफ्रिका का सत्यामह

के अभाव के कारण फोई फष्ट नहीं उठाना पड़ा होगा। कैहमवेंक " भी इन लग सेवकों मेंथे।

सभा यह वो प्रकट ही था कि केए टाउन मे पढ़िया से बढ़िया

होनी चाहिए। श्राइनर बुटुस्त के व्पिय में पहलेमांगमें लि

चुका हैं। उनमें ढसस्यूपी श्राइनर से,जो मुस्य बैन ख़ान स्वीकार करने के छिए प्राथना की गई । हमारी प्ायना की मंजूर कर लिया ।विशाल सभा हुई। भारतीय और गोरे भी त तावाद मेंआये ।मि० आइनर मेमधुर शब्हों मेंगोखलेजी का लाग

फिया, और दक्षिण भ्रफ्रिका के भारतीयों के प्रति अपनी सहाई

भूति पकट की। गोखलेजी को भाषण छोटा परिषक् बिचाएं से

भरा हुआ और हद डिन्‍्तु विनयपूर्ण भी ऐसा था बिसने

भारतीयों को प्रप्न कर दिया और गोरों का दिलले भी चुरालिया । गोललेजो मे ज्ञिस दिन दक्तिण अफ्रिका की भूमि पर पैर खडे! उसी दिन वहाँ की पचरंगी प्रजो के हृदय मे उन्होंने अपना स्था्े प्राप्त करलिया।

कैप टाउन से जोद्दान्सवर्ग को जाना था ।रेल से दो दिन की

प्रवास था। युद्ध का कुरुचेत्र दृल्सबाल था । केप टाउन से भी

समय राह मेंहमे टान्सवाक्ष के ण्ड़े सरहदी सेशन क्लाइसडाए पर सेगुजरना पढ़ता था। खास क्लाकसूहापतथा राद मेंभाने

अन्य शहरों में.भी ठहर कर हमें समाओों में जाना था। इसलिए

क्लाब्रंसुढाप॑ सेएक सेशत्ष दून की व्यवस्था की गई।दोनों शहर में बहाँ के मेयर दी अध्यक्ष थे।किसी भी शहर को एक घंटे अधिक समय नहीं दिया गया था। दून जोद्वान्सवर्ग विदेश ठीक समय पर पहुँची ।एक मिनट का भी फर्क नहीं पढ़ने पाया। स्टेशन पर खासे कालीन बगैंरा बिछाये यये ये। एक मंच भी

बनाया गया या ।जेद्ान्सवर्य के मेयर और दूसरे अनेक गेरे भी