पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३८८

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श्री गोखलेजी का प्रधात

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जाय,या सन्न्रि-संठल की तरफ से फोई ऐसी यात फह्दी जाय

जिसका उत्तर इसके पास नेहो, तो क्या किया जाय ? अथवा

भारतीयों क्वी तरफ से किसी वात फो कबूल फरना हो तथ फंया किया ज्ञाय ! ये दोनों थाते बिना भेरी या दक्षिण अफ्रिका के

किसी जिम्मेदार मेता की उपस्थिति के केसे तय हो सकती थीं ९

१२ इसका निर्णय स्वर गोखल्लेजी ने ही फोरन कर डाला । यह्दी कि मैंउनके लिए शुरू सेभाखिर तक संक्षेप मेंभारतीयों की स्थिति को यृत्तान्त लिख दूँ।उसमें यह भी हो कि भारतीय अपनी गोमें कद्टों तक कम ज्यादा फरने को तैयार हैँं। इसके बाहर की कोई घात उपस्थित हो, तो उससे गोखले अपना

भषान कुबूत् करलें | इस निश्चय के साथ द्वीवह निश्चिन्त भी होगये | भ्रव॒ रद्दा यह कि मैंऐसा एक फायण तयार कर७>ँ

भौर थे इसे पढ़ लें |पर पढने इतना समय तो मैंनेरखा दी नहीं

था । कितता ही संक्षेप मेलिखे तो भी १८-२० घर्प का, चार रियासतों की भारतीय जनता फो स्थिति का इतिद्वास मैं १०-२०सफे

से कम में कैसे देसकता था १फिर उसके पढ़ केने पर उनको कुछ सबात्न तो अवश्य दी सूमते |पर उनकी स्मरण शक्ति जितनी तीज

थी, उतनी ही उनकी मेहनत करने की शक्ति भो अगाध थी। राव

भर जागते रहे ।पोज़क फो और भुझे भी सोने नहीं दिया । प्रत्येक

वात की पूरी-पूरी जानकारी प्राप्त करली । उल्लटनसुलट रीति से सवाज्ञ करके इस बात की जाँच भी कर ली कि वह स्थिति को

-परावर समम गये या नहीं । अपने विचार मेरे सामने कद सुनाये

“अंत मेंउन्हें पूरा संतोष हो गया। मैंतो निर्भय ही था।

तगभग दोघंटे सन्त्रि-मंडल के पास वह बैठे, भोर वहाँ से आने पर मुझ से कहा, "तुझे एक साल के अन्दर भारतवर्ष आनाहै]

सब बातों का फैसलो दोगया है। काला कानून रद होगा, इमिग्रेशन