पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३८९

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दक्षिण अफिका छा सत्याग्रह

कानून से बर्ण-भेद निकालदियों जायगा, और दीन पड का करे भी रद द्वोगा।” मैंनेकहा--/इसमे मुझेपूरा सन्देदद है। मंत्रिन्मह

को जितना मेंजानता हूँ,इतना आप नहीं जानते) आपका भाशा-

वाद मुझे प्रिय है। क्योंकि स्वयं में भीआशावादी हूँ।पर श्रतेक वात में धोखा खाने पर अब में इस विषय में आपके इतनी

आशा नहीं रख सकता । पर मुझे भय भी नहीं है। आप वचन

ले आये, यही मेरे लिए काफी है। मेरा धर्म तो केवल यही हैकि आवश्यकता उपस्थित द्वोने पर युद्ध ठान हूँऔर यह सिद्ध करूँ कि वह न्याय्य है। इसकी सिद्धि मेआपको दिया गया बचन

हमारे लिए बढा फायदेमन्द होगा |और यदि लड़ना ही पढ़ा तो

बहहमेंदूनी शक्ति देगा। पर मुझे न वो इस बात का विश्वात होता हैकि विना भ्रधिक तादाद मेंभारतीयों के जेल गये

निवदारा हो सकता है,भरे नइस बात का भी कि एक शाहके. के अंदर मैंसारतवर्ष जा सकूँगा” । तबवहवोले “मेंतुझे जोछुआकहता

हूँइसमें कभी फक्क नहीं हो सकता | जनरल वोथाने मुझे वचत

दिया हैकि काज्ञा कानून ओर वह तौन पोंडवाला कर भी रद होगा । तुझे एक साल के अन्दर भारत लौटना ही होगा । मैं अब इस विषय मे तेरी एक भी उज़र नहीं सुनूगा?

जोद्दान्सवर्ग का भाषण प्रिदोरिया को मुलाकात के वाद

हुआ था।

न क २डरबन, मैरित्सवर्ग आंदि स्थानों को गये।

वहाँ कई

काम पहा। केम्वरक्षी की द्वीरोंअल

देखी। कैम्बरली ौर ढरबन के रवागत-मंडलों नेभी | के जंसे भोज दिये ये। €त्ममें अनेक अंग्रेज भी आये ये। हर

तरद भारतीयों और गोरों का दिल चुरा करके गोखतेजी नेदक्षिण अफ्रिका का किनारा छोड़ा ।उत्तकी आज्ञा प्राप्त कर फैलनवेल