पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३९२

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श्रीगोंखले का प्रवास

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» विशेषज्ञ समझे जाने लगे । दक्तिश अफ्रिका सम्बन्धां

अब उनके कथन का वजन भी कहीं अ्रधिक बढ़ गया । साथ ही

दत्तिए अ्रफ्रिका मेंरहने वाले भारतीयोंकीस्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञान

मिल्न जाने के कारण, बह इस वात को अधिक अच्छी तरह समझ

सके, कि भारतवर्ष को उन लोगों केलिए क्या करना चाहिएं--

और उसे यह बात समभाने में उनकी शक्ति तथा अधिकार भी

बहुत बढ़ गया ।फल्ञतः अव की वार जव युद्व चेता तो भारत से धन की वर्षा होने लग गई । लॉडे द्वार्टिज तक ने सत्पाप्रद्दियों केसाथ अपनी सहानुभूति जाहिर कर उन्हें उत्साहित किया।

भारत से सि० एण्ड्यूज और मि० पियसन दक्षिण अफ्रिका भाये। यह सब बिना गोखले के प्रवास के नहीं हो सकता था।

बचन-भंग केसे हुआ, और उसके वाद क्या क्या हुआ ? यह तो.

"पते प्रकरण फा विषय है ।