पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३९३

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४.१2. 8

वेचन-भंग दतक्तिण अफ्रिफा की लड़ाई में बड़ी धृह्मता से काम लिंया

जा रहा था। यहाँ तऊ कि प्रचलित नोति के खिलाफ एक भी बात नहीं की जाती थी |इतना ही नही, यल्कि रस बात का भी

बराबर खयाल रक्या जाता था कि सरफार फो भी अनुचित रीति

से न सताया जाय । उदाहरणार काला कानून केवल टून्सवाल के भारतीयो के लिए ही था इसलिए केवल ट्ान्मवाल के भारतीयों को ह्वीसत्याप्ह कौ नीति मेंदाखिल किया जाता था। नेटाल;

केप कॉलोनी इत्यादि देशों सेकिमीकी भी भरती नहीं किया जाता था| यह्कि वहां से जिन लोगों ने सत्याम्रद में शामिल होने

के लिए अ्रपने नाम भेजे थे उन्हेंतक इन्कार कर दिया गया था। शढाई की मर्थादा भी इस कानून को रद करने तक ही रक्खी गई

थी | इस बात की ने तो गोरे समझ सकते थे और न भारतीय दी

समम सकते थे।भ्रारस्भ मे भारतीय इस बात की साँग किया करते

थेकि लड़ाई शुरू करने के बाद काले कानून के अतिरिक्त अन्य ढु.खों को भी यदि हम लड़ाई के उहशों में शामिल कर सकते हों तो क्यों न कर लिया जाय ? शांति पूरक मैंने उन लोगों को सममाय। कि इससे सत्य का भंग हो सकता है। और जहाँ सत्य के लिए