पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३९४

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पचन-भक्

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>गाह किया जा रहा है,वहाँ उसके ,भंग की बात फसे शामिल

शी ज्ञा मकती है९ शुद्ध लड़ाई का तरीका तो यही द्वोना चाहिए

कि यदि लड़ते-जडते जूकते वाक़े का चल बढ़ भी जाय तो भी प्रश्न में जिन उद्देशों कोलेकर चह चला दो,उनके अतिरिक्त

दूसरी बातों को उसे शामित्न नदीं करना चाहिए, इसके विपरीत इस रहेश का वह त्याग भी नहीं कर सकता, फिर भत्ते ही लड़ते

सढते उसकी शक्तिछीण हीक्‍योंन हो जाय। इनदोनोंवातों

पर दत्तिण अफ्रिका में पूरा पूरा ध्यान दिया गया था। सम ईस

परलड़ाई ्मतका बातकोभीदेखचुकेहैंकिजिसबल की द्विम प्रार भक़िया गया था, बह आगे चलकर मिथ्या साबित हुआ तथापि अप सत्यापहीतो,जो केबल मुह्ठी भरहीथे,अत तक अपनी भरिज्ञा

नहींहै।मुश्कित हैयहवात पर छ हीरहे।किन्तुयहबहुतमुश्किल उद्देशों मेंदूसरी दूसरी बाते उसके हम भी हुए होते किबल की बृद्धि शामित्ञ नकरें ।उसमे अधिक संयम है। दक्षिण अफ्रिका मे

इस तरहकेप्रलोगन केकईअचसर आये। परमैंनिश्नयपूर्वक कह सक्रता हूँकिइनमें सेएक का भी फायदा नहीं उठाया गया। इसलिए मैंकई बार कह चुक हूँकि सत्याप्रद्दी का निश्चय तो एक हीहोसकता है | वह न तोकमफरसकता हैओर न बढ़ा सकता

न क्षयके लिए ही। है;व उप वृद्धिकेलिएअवकाश हैऔर है, ठीक उसी नाप से महुष्य जिस लाप से अपने को नापता

संसार भी उसे मापने को ज्ञाता है। जब सरकार ने यह देखाकि

पद्दी सत्या हैं.तबचंद भीउसी घूह्मनोतिसे काम क्ेते इतनी

मीति सेउनके कार्यों कीआलोचला करने लग गई । हाँखुदकेलिए कोनअखि्तियार भत्तेहीबहअपने एकभीफाममेंउस नोति

केसिरइस नीतिकेसंग करे । दो-चार वार उसने सत्याम्रहियों

ेंफी सेबालक कीझारोपमढ़भीदिया| यहबाततोएक सन्ह