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दत्तिण अफ्रिका का सत्याग्रह

समम में भी आ सकती हैकि फांसे कानून के बाद यदि सारतीयों?

के खिलाफ सरकार किसी नवीन कानून की रचना करती तो उसका

समावेश लड़ाई के उद्देशों मे श्रपने आपही दो जाता । तथापि जब नवीन श्ाने वाल्ले भारतीयों केखिलाफ वह इमिग्रेशन कानून बनाया गया, और उसको लड़ाई के उद्शों मे शामित्न किया गया तब

सरकार ने यही आरोप किया कि लड़ाई के हेतु मे एक नई बात

शामिल की गई है। पर उसका यह आरोप नितान्त अनुचित था । यदि बाहर से आनेबाले भारतीयों केऊपर ऐसी फोई नहशत

लगा दी गई जो पहले नहीं थी, तो उसको युद्ध के उद्दशोंमे शामिल कर लेना उचित ही तो था। भर इसीलिए सोरावजी बगेरा

युद्ध मेशामिल् हो सके ।पर सरकार इस वात को बरदाशत नहीं कर सकती थी।किन्तु निष्पत् लोगों कोइस बात की नीतियुक्तता सममाने मेंमुझेज़रा भीकठिनाई नहीं मास हुई । २ गेखलेजी के चले जाने बादफिरएक ऐसा ही प्रसंग उपस्थित

हुआ । गोखले तो सोच रहे थेकितीन पोंड का कर अवश्य ही एक साल के शअद्र उठा लिया जायगा; और उनके जाने बाद होने वाढी दक्षिण अफ्रिका की पालमेन्ट में उस कर को उठाने के लिए फानून भी स्वीकृत दो जायगा । पर दर असल हुश्रा क्या

हुआ यद्धकिजनरल स्मट्स तेउस पालमेन्ट में यद्द जादिर किया

कि नैटाज्त के गोरे उस कर को उठाने के लिए तैयार नहीं हैँ।इस-

लिए सरकार उस कर को रद करने सम्बन्धी कानून फो स्वीकार करने मे असम है। व्तुत: ऐसी फोई वात हीनहीं थी |युनियन पालेमेन्ट मे“वाररियासत हैँ) उनमे फेवल नेटाल के सभ्यों की फदाँ तर चत् सकती थी १ फिर मत्रि-मए्डल कानून बनावे, पालेमेंटउमको अस्वीकृत करे, तूव कहीं वह इस तरदद जादिर कर सकते थे । पर जनरल स्मर्ट्स नेइसमें से एक भी नहीं फिया। इसलिए