पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३९६

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पेचन-भ्त

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गैस हवनिकर फर को भी लड़ाई के उद्देशों से शामिल कर जेने का

धुम संयोग श्रनायास हमारे हाथ लग गया । इसके दो कारण थे

एकतोयहकियुद्धकेचलतेहुएयदिंकोईवचन दे और उसका

भंग करे तो बह युद्ध के उट्ेश में शामित्ञ किया जासकता था।

दूधरे, यह कि ऐसे वचन-भंग से गोखत्े जेसे भारत के सम्मान्य

का अपमान होरद्दा था; जो दूसरी प्रकार से भारत का

भ्रपमानहीथा । भला उसे हम केसेवरदाशत करसकते थे !यदि

पहली वातद्दी होती और इधर सत्या्रदियों मेउनके लिए जूमने की

शक्ति भीन होती तो भल्ते हीकरकोरढ करने के लिए सत्यामह जेसे शस् का उपयोग वे नेकरते । पर जिस बात से समस्त भारत का

अपमान हो रहा हो, उसे तो थे हरगिज्ञ नहीं सह सऊते थे।

शुपलिएइस तीन पोंढ के कर को भी लड़ाई के पदेशों मेशामित्ष

ऊर लेना मत्याप्रहियों केलिए एक धर्म हो गया। भर उ्यों ही

कर को लड़ाई मेंशामिल किया गया, त्यों हीगिरमिटियाओं को

भीयुद्ध मे भाग हेने का मौका मिल गया। पाठकों को याद होगा किभवतकइन लोगों को युद्धमे शामिल नहीं किया गया था। श्त्िए एक घोरतोक्द़ाई केकारण बढ़ गये, और दूसरी ओर

पोद्धाओं की संख्या बढ़ने काभीसमय आ पहुँचा।

अभी तक गिरमरिटियाश्ं भे किसी प्रकार युद्ध की शिक्षा की

वाततेदूररही,लड़ाईकीचर्चाभीनहींकीजाती थी। वे

निरजषर थे |इसलिए न 'इण्डियन ओपिनियन! पढ सकते थे,और न दूसरा कोई समाचार पत्र । इतना होते हुए भीमेंदेखता थाकि

परगरीबलोग सत्याप्ह का निरीक्षण खूब कर रहेथे और जोझुछ थे पा थाउसेसमझतेये।वी २७ काबराबर दे हो रहा था, किवेउसयुद्ध मेशासित

सकतेथे| शवबचननभंग हुआ और तीन पोंड का कर