पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/३९७

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दक्षिण अफ्रिका का सत्याग्रह

लड़ाई के उहेशों मेंशामित्र करने की नोटिस दी गई, तत्र मुझे भी यह पतान था उन लोगों में सेकोन-कोन युद्ध में शामिल्ञ होंगे।

वचन-संग वाली वात मैंनेगोखज्तेजी कोलिख भेजी। उन्हें

वह दुख हुआ। उन्हे मैंने लिख दिया कि आप निभ्षय रहें। दम

लोग आमरण जूमंगे और कर को रद कराऐँगे। हाँ, एक सात

के अन्दर मेरे भारत जाने की वात अनिश्चित समय के लिए श्रागे बढ गई । गोखल्षेज़ी तो अंकगणित के शाल्ली थे न! उन्होंने मुझ से ज्यादा से ज्यादा और कम से कम लड़ने वालों की संख्याशओ्रों के अक मांगे। मुझे इस समय जहाँ तक स्मग्ण होता है, मैंनेउनको

ज्यादा से ज्यादा ६४-६६ और कम से कम १६ लडते बालों के नाम लिख सेजे। मैंनेउन्हे यह भी लिख दिया था कि इतनी छोटी

संख्या के लिए मैंभारत से आर्थिक सहायता की अपेत्ता नहीं रखता। हसारे चिषय मे निश्चिन्त रदने और अपने शरीर फो

अधिक कष्ट न देने के लिए भी मैंने उनसे प्राथना की थी। दक्तिग अफ्रिका से वम्बई लौटने पर उत्त पर कमजोरी के फ़ितने ही आरोप सढ़ेंगये थे।उनकी खबर भी मुझे समाचार पत्रों द्वारा

तथा अन्य रीति से मिल चुकी थी |इमलिए मैं चाइता था कि हमे झाथिक सहायता भेजने केलिए वह भारत में किसी प्रकार का

आन्दोलन न करे। पर मुझे उनका कड़ा उत्तर मिल्ना। “जिस

तरद्द तुम्र लोग दत्तिण अफ्रिका मेअपना धर्म सममते हो, उसी

प्रकार हम भीयहाँ कुद-छुछ अपना धमे अवश्य हीसममते

होंगे। इमे यहाँ पर क्‍या करना चाहिए यद्ध आपको बतल्ञाने की आवश्यकता नहीं है। में तो केवल यहाँ की परिस्थिति मात्र जानना चाहता था। हमें अपनी तरफ से क्या करना चाहिए | इस

विषय मेंहमने आपसे कोई सत्षाह नहीं माँगी थी ।” इन शब्दों

के भेद को मेंसमझ गया। उस दिन से मैंने उन्हें इस विपय में िफनन+-+9०>3