पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४०३

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श्श्द

दक्षिण प्रफ्रिका फा सत्याम्रह

तब पऊइती हैं. जब वह मजबूर होजाती है। इन बहनों फा पहला प्रदत्न निएकनतर दुआ | उन्होंने विसा परयाने पी फेरी की, पर पुलिस ने उनको पड़ने सेइनकार किया। उन्‍्दोंने फ्रीनिवन सेऔर जिया की सरहद मेंधि्ा इजाजत प्रवेश क्रिया । पर इन्हें कोई गिरफ्तार ही नहीं करता था ।अब इनके लिए यह सवाल सड्ठा हो गया

कि गिरफ्तार किस वरह दोथें ? ऐसे मद भी ज्यादा नहींये ओो गिरफ्तार होने के लिए तेयार हों, शोर जो तेयार थे उनके लिए गिरफ्तार होना कठिन था। अंत में उसी मांगे का अवल्म्बन फरने का निम्वय किया जिसका अंत में अवत्म्थन करने के लिए सोच रक़्खा था। वह

तेजस्वी भी साबित हुआ |मैंनेसोच रकल्ला था कि मेरे साथ फिनिक्स में रहने वालों कीसबके बाद, अंत मे, जेल भेजना

चाहिए । यह मेरे लिए अंतिम त्याग था |फिनिक्स में रददने वाहे निकट के साथी घोर सगे-्सम्वन्धी थे |यह सोच रदखा था कि समाचारपत्र चलाने के ज्िण आवश्यक आदमियों को तथा १६

साल से कम उम्र के बालकों को छोड़कर शेष सव को जेलन्यात्रा के ज्षिए भेज दिया जाय |इससे अधिक त्याग करने के साधन

मेरे पास नहीं थे।गोखले को लिखते समय जिन सोलह आदमियों

का जिक्र किया था वे इन्हींमें से थे। मेने यह निश्चय किया था कि इन लोगों को सरहद नोघ कर ट्रान्सवाल में “विना परवाने के ले जाकर ट[न्सवाल में प्रवेश करने” के गुनाह के भ्रतुसार गिर

पवार करवा दूँ । हमें यह भी डर धा कि यदि इन लोगों का ताम' ठाम पहले से ही जाहिर कर दिया जायगा, तो शायद परे. इन्हे गिरफ्तार भी नहीं करेगी।

इसलिए दो-चार मित्रों को छोड़कर मैंने और किसीसे इस

पात का जिक्र तक नहीं किया था | सरदद नोधते समय पुलितत