पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४०४

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विवाद गेर कानूनी

श्श्ट

के भ्धिकारी अक्सर नाम-ठास पूछते दे । हसने यह भी सोचा खा थ| कि उस समय लाम व्गेरा नहीं बताया जाय | श्रधिकारी

को नाम वर्गरा न बत्ताना भी एक पृथक अपराध सममा जाताहो था। यदि नाम वरैरा बता देते तो पुलिस को यह माछुम

जाता कि वे मेरे सगे-सम्बन्धी है, और इसलिए हमे डरही थास्रे कि शायद वह उन्हें छोड़ भी देंतो | इसलिए हसने पहले के यह निश्चय किया थाकि नाम बगेरा न बताया जाय। र गिरफ्ता को बहनें न इस विधि के अनुसार टन्सवाल की जिननमि था । होने की इच्छा थी उन्हें नेद/ल में हाजिर हो जाना जरूरी

जिस प्रकार मैटाल से बिना परवाने के दून्सवात्न जाता शुनाई वाले सममा जञाता था, ठीक उसी तरह दू/मबाल् से नैटाल भते बाली आने से ल ।श भी वही हाल द्ोता था। इसलिए दासवा जातीं। यदि बहनेयदि पकड़ी जाती तो नैटाक्ष मे द्वी पढ़ी कोयद्ष

की उन्हें पकड़ा त गया तो यह तय हुआ था किवेनेंटाल और जा चली था, ल न्यूकेस केन्द्र फी छात्रों मे,जिनका की बहिनों । इन

पह्दोंके मजदूरों को खाने छोड़ने के लिए समभावे भी याएँ थी। माठ-भाषा तामिल थी । उन्‍हेंकुछ कुछ दिद्धुत्तानी तेलुगु दी थे । मजदूर ल्लोग भी प्राय. सदरास इलाके के--पोमिल बात मान सी बहुत से थे |यदि मजदूर हन बहनों की को भी दूसरे प्रांत के मज दूरोंके साथ-साथ इन बहनोंसर्द पर सज़दूरी छोड़ देत्तोबिना बौंसे रहसकती थी |अंतएंव सरकार गिरफ्तार किये इस तरह में भी खूब उत्साह फेलने को पूरी सम्भावना थी।

(शमी दारते टाल्सव की बहनों को सममा दी गई थीं बेंठकर , इसके वाद मेंफिनिक्स पहुँचा। चढ़ोँ सबके साथ बहलों से बाढ़ी वात-्चीत की । पहले-पहल तो फिनिक्स भे रहने था कि बहनों जानता मैं मे बात-चीत कर लेना था।

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