पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४०९

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दृत्तिण श्रफ्मीका का सत्यापह

जो बहने दृन्सवाल में गिरफ्तार न दो सकी, वे निराश

होकर शव भेंटाल मे आई । बिना परवाने के प्रवेश करने के अपराध मेंपुत्तिस ते उन्हें. गिरफ्तार नहीं किया। यह तो पहले ही निश्चित हो चुका था कि यदि पुलिस उन्हें गिरफ्तार न फरे,पो उन्हेंसीधे न्यूकेंसल चले जाना चाहिए, और वह्दा की फोयते की खानों मे काम करने वाले मजदूरों से श्रपना काम छोडने के लिए प्राथना करनी चाहिए। न्यूफेंसल नेटाल को कोयलों की खानों

का फेन्द्र है।इन खानों मेखासकर भारतीय मजदूर ही थे |वहनों नेअपना काम शुरू कर दिया। इसका परिणाम बिजत्ती का सा हुआ।

तीन पींढ के कर की बात कहकर उन पर असर छात्ता गया । मजदूरों नेअपना काम छोड दिया । भुझेइसका तार मिला ।में खुश

हुआ, पर साथ ही उतना ही घबड़ाया भी |सवाल यह था कि

मुझे क्या करना चाहिए ( मैंइस अद्भुत जागृति के लिए तैयार

न था। मेरे पास पैसे नहीं थे, और न थे इतने भ्राकष्मी कि जो इतने बढ़ेकाम को अच्छी तरह संभाल ते। तथापि मेंअपने कर्तव्य को जानता था। सोचा, मुझे पहले न्यू केंसल जाना चाहिए

भर वहाँ जो कुछ भी वन पढ़ेवही करना चादिए | मेंनिकत्ञा। उन बह्दादुर बहनों को भला अब सरकार केसे छोड सकती थी? वेगिरफ्तार कर ही गई, और पहली टुकड़ी मेजाकर

शामिल होगई ।उन्हें भी वही सजा दी गई, श्रोर उन्हीं केसाथ

साथ खखा गया। अरब ठो दक्षिण अफ्रिका के तमाम भारतीयों की

नोंद हूटी, भौर वेखडवढ़ कर जांग उठे, साने। उनमें नवीन चैतन्य ने प्रवेश फिया। पस्तु श्लियों केबलिदान ने तो भारत को भी

जगा दिया। सर फ्रिजशाह मेहता आज तक चत्स्य ये। सम्‌ १६०१ में उन्होंने मुझे बलइना देकर सम्रकाया था कि मुझे

  • पेज्षिणआंफ्रका नहीं जाना बाहिए । उनका अभिप्राय मैं पहले ही