पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४१३

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मज़दूरों की धारा बहनों के इस त्याग का मजदूरों पर वडा अद्भूत प्रभाव पढ़ा।

न्यूकेंसज्ञ के नजदीक की खानों के मजदूरों नेअपने दृथियार फेक दिये। उनका प्रवाद् शुरू हुआ । समाचार मिलते ही फिमिक्स

छोड़ कर मेंन्यूकैंसल पहुंचा।

ऐसे मजदूरों काअपना घर नहीं होता ! मालिक दहीउनके लिए घर बनाते हैं,मालिक ही उनके मार्गों को दीया-वत्ती सेप्रकाशित रखते हूँ,पे दी उन्हेंपानी भी देते हैं । अर्थात्‌ मज़दूर हर

तरह सेपराघीन रहतेहैं। औरतुल्सीदासजी नेवो कही दिया हैकि पराघीन सपने हुँघुख नाहीं”

है

ये हड़वात्न वाले मजदूर मेरे पास कई प्रकार की शिकायत

ते कर आने लगे |कोई कद्दता 'खानों के मा्रिकों ने रास्ते परकी वत्तियों को उठा लिया है? | कोई कहता, उन्होंने पानी बन्द फर

दिया है।कई कहते, 'वे हडताल वालों का असबाव कमरों में से बाहर फेक रद्दे हूं।! एक पठान से मुझे अपनी पीठ दिखाते हुए

फह्दा, “यह देखिए, मुझे केसे मारा है, सिफे आपके खातिर मैने , उस बदमाश कोछोड दिया है, क्योंकि यही आपका हुक्म है।

. "हों तो मैंपठान हूँ,और पठान कभी मार नहीं खाता, ख्वर्य