पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४१८

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मज़दुरों फो धारा

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मजदूरों का मेंनौति फे अनुसार विभांग तो हरणिज्ञ नहीं कर सकता था। भेद फरना भी चाहूँ तो सभी मुझ 'अ्पना भेद थोड़े हो बताने वाले थे । सवर्य में हीफाज़ों वन बहूतोमुझे तो विवेक-

दीन बनता पढ़े । मेरा कार्य तो केबल हडताल का संचालन करना मात्र था। इसमें श्नन्य सुधारों को शामिल उरने के लिए कोई श्रवजरा नहीं था। हाँ,छावनी में नीति फो रक्षा करना अरूर मेरा काम था। वहाँ श्रान बाले लोग पहले कैसे थे,इसकी तत्ाश करना मेरा काम नहीं था। इतना बढ़ा समुदाय एक ही जगद्द बैठा रहे सढी होती रहे। ओर वास्तव तेजरुर हीयुद्ध-त-कुछ खुराफ्तात दिन शांति से कैसे घीत गये ९ इतने कि था यही मेंघमत्कार तो मे मब इस कदर शातिपूवक रहे,मानो वेअपना आपद्व्म समझ

गये हों ।

मुझ उपाय समा !इन को भी उन १६ मनुष्यों कीतरह दून्स-

हुआ कि बाज जे जासर जेल में बैठा दू। पहले-नहल यह विचार ठुड़ी एक एक फिर इन की छोटी-छोटे टुकड़िया बना छ और मैंने इसविचार

ड्ो सरहद लाँपने के लिए भेजूँ । पर फौरन दी को सम्भावना को पक्षट लिया'। इससे बहुतसा समय नष्ट होने

होता हैवह एकथी | दूमरे, एक सामुदायिक कार्य का जो असर

एक टुकड़ी भेजने से नहीं हो सकता |

होंगे ।उन मेरे पाप्त ्गभग पाच हजार मतुष्य इकट्ठा हुए भी इतने रुपये मेंकहा सब फ्रो टून से नहीं लेजासकता था।षा भी नहीं होसकती थी। से लाता । फिर इससे लोगों की परीक्

ू ल सेदन्सवात्न की सरदद ३६ मील थी। नेटात का। सःअंत न्यफेंस ट

सवाज्ञ का बॉकसरेस् हुदीगांव चालेस्‌टाउनथा, और द्वान् केसाथ भी मे पैदत्न हो सफ़र करने का निश्चय किया | मजदूरों कितने ही टाल

सलाह को । उनमे जियां, बच्चे, बगैर भी ये !