पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४२२

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सात के भाजिकों से बात-चीत और उसके वाद १४७ तमय तह मुझे याद नहीं रह सऊतो। नो खास-खाध् चांत मुझे रहगई। वे मैंने संक्षेप में ऊपर कह दी है। यह तो मुझे माछम

होगया कि मालिकों को अपना फेस फमज्ोर मादूम होने लग गया, कप सरकार के साथ तो उनकी चात-चीत चल ही रही थी।

जाते और लौटते समय मेंनेदेखा कि टन के गार्ड बगेरा पर

इप हडताल का और जनता की शान्ति का बड़ा ही अच्छा प्रभाव पड़ा था। से तो तीक्षरे दर्ज मेंहीसफर करता था। पर वहाँ भी गाह बगेरा अधिकारी लोग मुझे घेर कर चिता के साथ सब की कैव पछ लेते और विजय की इच्छा जाहिर करते। अनेक प्रकार

के दोटो-मोटी सुत्रिधाय्य मेरे लिए कर देते, पर में उनके साथ

पपते सम्बन्ध को हमेशा निर्मेत् रखता। एक भी सुविधा के लिए उन्हें किसी प्रकार का प्रतोभन नहीं दिखाता । अपनी इच्छा

सै वेजा विनय दिखाते वही मुझेपसद था |विनयको खरीदने का

प्रयल तो सने कभी किया ही नहीं। गरीब, अपढ़, अज्ञानी मजदूरों

को इस तरह शांत रहते हुए देखकर उन्हे बढ़ा भाश्वय मालुम हुआ।

यह ठीक भी था। दृदता और बहादुरी ऐसे गुण हैंकि जिन का

भाप विरोधियां पर भी बिना पड़े नहीं रहता ।

में पुनः न्यू केंसल पहुँचा। लोगों का प्रभाव तो उसी तरह

  • द जा रहा था ।-सब बाते उन्हें खोल खोल कर सममा दी गई।

गह भी पुन: कह दिया कि यदि वे लोट जाना चाहते हों ते लौट सकते है। मालिकों की घोंस की चात भी कही । भावी विपत्तियों का भी चित्र खींच कर बता दिया और चेता दिया कि लड़ाईकबसमाप्त

होगी इसका कोई ठिकाना नहीं ।जेल के दुःख सममाये, सब कुछ

समकाया, पर वे अपने निश्रय से नहीं हठे। “आप जब तक

शइने के लिए तैयार है, तब वर हम भी अपना कदम पीछे नहीं