पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४२३

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श्ष्ठप

दक्षिण श्रफ्रीफा का सत्याम्ह

हटाबेंगे, हमे कट्टो का पूरा खयाल दे,धमारी चिता नफ्रीजिएगा”? इस तरह का निर्भय उत्तर मुझेमिला ) अरब तो सिर्फ आगे क्ृच फरना रहा। एक दिन सुबह

जल्दी उठ कर क्ूच करने के तिए मेनेउन्हेंकद दिया। राह पर

चत्ञते हुए जिन नियमों के पालन करना चाहिए वेभी सममा दिये-

'पाचः कु इजार के समुदाय फ्री सममा कर रखना कोई मामूली बात नहीं थी ।उनकी गिनती तो मेरे पास थी ही नहीं, और

न थे नाम-ठाम । जो रहेसो रहे, और गये सो गये |यही हिसाव-

किताब था ।प्रत्येक आदमी को १) पाव रोटी और श। रपये भर शक्कर के सिवा अधिक खुराक देने की गुजायदश भी नहीं थी। इस

के अतिरिक्त यह कह रक्खा था कि यदि राह मेंभारतीय व्यापारी

कुछ देंगेतो ले छूंगा, पर उन्हेंरोटी भौर शक्कर पर ही संत?

रखना चाहिए। बोश्रर-युद्ध और उसके वाद हवशियों के युद्ध मेमु जो अनुभव प्राप्त हुआ था उसने इस समय खूब काम दिया।

श्रावश्यकवा से अधिक फपढ़े न रक्खे जायें यह तो शर्त ही थी।

रात्ते से किसी की चींज़ फो हाथ न छ्गाया जाय। अधिकारी लोग या अंगरेक्ष रास्ते भेमिले, गालिया दें,भौर पीट भी तो सब

बरदाश्व कर लिया जाय। यदि क्ेद कर तो चुपचाप अपने आप को सौंप दिया जाय। यदि मैंपकहा जाऊँ तोभीलोग

उसी तरद कूच करते हुए घल्ले जाएँ, रास्ते में कहीं थ रुके, इत्यादि सब बात समझा दी गई थीं। यह भी समझा दिया गया

था कि मेरी छतुपस्थिति मेंक्रमशः कौन-कौन मेरा स्थान के, भौर ,

काम शुरू खले | ५ जोंग समझ गये । समुद्राय सह्दीसज्ञामत चालंसटाऊन जा पहुँचा । चाहसे-टाऊन से व्यापारियों नेखूब सहायता की। अपने

भदान उसने के किए खोज्ष किये। मस्मिद के झद्दाते मे रसोई