पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४३०

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दान्तवाल से प्रवेश

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नहीं है । यदि कोई दब छिप कर मी प्रवेश करेगा तोद॒में वह प्रिय गेहोगा पर जहाँ हजारों आदमियों से काम क्षेना है, जददों

प्रम के सिवा अन्य कोई धंधन नहीं है, वहां हम किसी के कार्य के लिए जिम्मेदार नहीं हो सकते। साथ ही आप इतना भी जान यदि तीन पौंड बाला कर श्राप उठालेंगे तोतमाम गिरमिटिया पुनः अपने कांस पर लौट आर्वेगे और हृढ़ताल समाप्त हो जायगी भारतीयों के अन्य दु:ख़ों को दूर फरने के लिए हम उन्हें अपने सत्याम्रद भे शामित्र नहीं करंगे। इस पत्र के कारण भी स्थिति बडी श्रनिश्चित हो गई थी।

इसका कोई ठिकाना न था कि सरकार हमे कब गिरफ्तार कर

लेगी। पर ऐसी हालत में सरकार के उत्तर की प्रतीह्ा दिनों तक

नहीं की ज्ञा सकती थी। एक या दो डाक की राह देखी जा सकती थी । इसलिए हमने निश्चय कर लिया कि यदि सरकार यहाँ

हमें गिरफ्तार न करे तो फौरन टरन्सवालमे प्रवेश कर दिया जाय।

यदि रात्ते मे भी वह हमें कहीं न पकडे तो समुदाय आठ दिन तक प्रति दिन २० से लेकर २४ मील तक का सफर परता रहे ) आठ दिन में टॉल्पटॉय फार्म पर पहुंचने की योजना थी। यद्द भी विचार लिया था कि बाद मे युद्ध की समाप्ति तक पहीं पर सब रहेंऔर काम करके अपनी आजीवका पैदा कर । मि० कैलनबेक नेसभी व्यवस्था कर रक्त्ली थी। इन्हीं कषोगों केद्वारा बहां

मिट्ठीके मकान बनवा क्ेने का निश्चय कर लिया गया था। व

तक छोटे छोटे-डेरे लगा कर दुबले-पतले आदमियों को उन में

' रश्नने का विचार था। हट्ढे-कट्टे स्त्री-पुरुष तो बाहर भी पड़े रद

सकते थे। कठिनाई सिफ यही थी कि बारिश का मौसम शुरू होने को था, इस किए वर्षा ऋतु में प्रो सब को आसरा होना

“जररी ही था। पर मि० फ्ैल्मबेक को विश्वास था कि तब यह