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दक्षिण श्रफ्रीका का सत्याप्रह

दी पर हम तुलेहुए नहीं हूं। मेंइस समय ज्ाचार हैँ। क्या इस समय वे मेरी इतनी-सी बात को नहीं सुनते (” भ्राधी मिनिट में उत्तर मिला “जनरल ाटस आपके साथ कोई सम्सस्ध रखना नहीं चाहते |” आप का जी चाहे सो फरिए।” टेलिफोन बन्द |

पर यह अऊल्पित बात नहीं थी | दवा,मैनेह॒प्त रुखेपनकाझाशा

जहर नहीं की थी। क्योंकि सत्याप्रह के बाद मेरा उनका कोई

छ. वर्षका राजनैतिक सम्पन्ध दो गया था । इस लिए मेंशिट्रता-

पूर्णउत्तरकी उम्मीद कर रहा था। पर उनकी शिष्टता सेमेंफूलके कुप्पा तो नहीं होजाता। उस्ती प्रकार न इस अशिष्टता से मेंज़रा

भी शियिल हुप्ना। मेरे कततब्य कीसरल रेखा मेरी आरखें फे सामने घष्टतया दीख पड़ती थी ।दूधरे दिन निश्चित समय पर हसने प्राथेता कोओर परमात्मा के नाम पर क्ूच भी कर दी |उस

वक्त मेरे साथ २०२७ पुरुष, १२७ स्तियाँ भौर ५७ बच्चे थे।