२१५
सभी कद अ्रत्र हम जोहान्सवर्ग के काफी नजदीक आ गये थे । पाठकों
स्मरण रहेकि पूरा मार्य सात दिन में तय करते का निम्बय
किया था। अब तक हस अपने निश्चयानुसार प्रतिदिन सार्थ तय करते हुए आ रे थे । क्रय पूरी चार म॑जिले और रह गई थीं |
स्न्तु व्यों ब्यों हमास उत्सादहु जाता था शवों त्यों सरकार
की ज्ञाप्रति भी तो बढ़नी ही चार्हिए न | हमे अपनी मंजिल तय करने पर चह यदि पकड़ती तो उससे उसकी कमजोरी और अरसिकता न जाहिर होती ? इसलिए उसने शायद सोचा कि यदि पकड़ना ही हैतो मंजिल तय परने से पहले ही क्यों न पकड़
लिया जाय |
सरकार ने देखा कि मेरे. गिरफ्तार दो जाने पर लोग न तो सिराश हुए, न डरे, और न कोई उपद्रव ही उन्होंने मचाया, यदि
वेउपद्रव कर बैठते तो सरकार को अपनी तोपों और वन्दूकों का
उपयोग करने का अवसर मिल जाता | जन्तरक्ष स्मटूस के लिए
हमारी शाँति और उसके साथ साथ दृदता एक घड़ी दु:खदायी
बोत हो गई। उन्होंने तोयदाँ तक कद डाज्ा "शांत मनुष्य को कीई कहाँ तक सदा संकंता है?! मरे को मारने से क्या