पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४४२

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सभी कैद

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ीत होही ऐश सेउर कर देहमें वी मिले हमाते बात-च थी |अभीबह पूरीभी नहीं हो पाईथी ।दोपहर के तीन बजेहोगे।

म दोनों दल के मुदाने पर थे। दूसरे साथी भी हमारी चाते सुन

टू न पकईना रेये। शाम को सि० पोलक को उरबन जाने वाली ्षक के समय

थी। किन्तुरामचन्‍्द्रजी जैसे मद्दापुरुषतकको राजतित बात-चीत क्षे वनवास सिल् । फिर पोलक कौन होते थे ?हमारी गई ।उससें हैरहा थी कि एक घोड़ा गाड़ी सामने आकर रुहर

एशियाई विभाग के उच्च अधिकारी मि० चमनी भोर एक जापुलिस अधिकारी भी थे। दोनों दीचे उतरे । मुझेजरा दूर ले कर में रहा "मैंआपको गिरफ्तार फरवा हूँ। इस दरद चार एन

तीन बार पकड़ा गया ।मैंनेपूछा इस दल को १९ ध्यह सब होता रहेगा? ।

खबर देने मेंकुछ न घोल, फेवल अपने गिरफ्तार होने की थे

दिया कि का समय ही मुझे दिया गया। मैंने पोलक से कहद रेल के साथ जाचे। लोगों से शांति रखने के लिए कहना शुरू किया कि वह अधिकारी वोज्ा-४शाव आप केदी हैं। भाषण नहीं देसकते।”

त त्तो सैंअपनी मर्यादा फो समझ गया। सममने को जरूर ो

ारी न्नेत नहीं थी, क्योंकि मुझे बोखते हुए रोफते दी उस अधिक देदिया हुक्स लिए फे े चलात गड्डी हाक्ले चश्ले को गाड़ी ऐेज

था। एक क्षणमे दक्षआंखोंसेझोमज्ञहोगया।

घढ़ी भर के लिए भ्रधिकारी जानता था कि उस समय एक रखफर ही तो वह वास वीभेरा ही राज्य था। क्योंकि हम पर पिश् ते

के साम एप निज्ञेन प्रदेश मे दोहजार भादसी के समुदायचिट्ठी मेजकर भाया हुआ था। वह जानता था कि यदि सुझे पक

जाता। इस थी कैद की खबर सुनावा छो मैंबराबर द्वाजिर हो