पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४४४

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सभी बेदी

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“उममें गांधी की जरूरत क्यों आन पढ़ी ! सिपाही भी भला कहीं

भफसरों का चुनाव करता है अथवा कभी यह हठ पकड़ता है कि हम तो सिफ एक ही आदमी का हुक्म मानेंगे ?सि० चमनी ने मि०पोलक और काइलिया फी सहायता से बड़ी मुश्किल से इन लोगोंको सममांयां । इन दोनों तेफह्दा “यात्रा काउद्दश तो आजिर

जेल जाना ही था। जब सं सरदार ही गिरफ्तार होने के लिए जनता को उसकी अ्रतुपस्थिति सेघबड़ाना नहीं, तेयार द्वो,तब्र तो वह्कि उसका स्वागत करना चाहिए । इसीमे हमारी भल्लाई और युद्द की जीत है । गांधी दी भी दूसरी इच्छा हो द्वीनहीं सकती।

यही सबको ख्याल करना चाहिए”। बात ल्ोगें के ल्थाज्ञ मेजम गई भौर वेटन मेंबैठे।

' इधर मुझे कोर्ट मेंखढ़ा किया गया । मुझेउस समय वपयुक्त फिर छूटने के घटनाओं वी फोई ख़बर नहीं थी। मेंने कोर्ट से

दरस्वास्त की; उन्हें यह भी कट्दाकिदो कोर्टों ने मुझे इस छोड़दिया था,और प्राथेना की कि यातोसरकार तरहपहले

उन लोगों को भी गिरफ्तार करे या उन्हेंमुकाम पर पहुंचा देने के

हिए भुप्तेइनाजत और छुट्टी दे |कोर्ट नेमेरी दरख्वात्त को तो नाम॑जूर किया, पर मेरी मनशा सरकार से फोरन जादिर कर देने

का बचन दिया। इस बार ये ज्ञोग मुझे उंडी त्षेजाने वात्े थे।

सयों कि मामला वहीं चलने वाला था। धतः उसी दिन टे,न मेंबेठा $र मुझे रंडी लिवा के यये | इधर मि० पोलफ को देडकबग मे तो ग्िरपतार नहीं किया। इतना ही नहीं, बल्कि उनकी सहायता के लिए उनके प्रति एड सान सन्दी तक जाहिर की गई। मि८ चमनी ने तो यहा तक

कहाथाकि सरकार उन्‍हें पकड़ना ही नहीं चाहती। पर यह तो प्रि० चमनी का, और जहांतकइन्हें, मातमथा,सरकारका