पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४४९

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दक्षिण अफ्रोका,फा सत्याम्ह

इसलिए उसे डर था कि यदि यह मेरे जैसे एक भत्ते आदमी को

देखकर अपने बर्ताव मे कोई फर्क फर देतो दूसरे कैदी उसके

नाकों दमकरढालते ।में जेलरकीकठिनाई को ठीक तौरसे

सममा गया था ओर जब कभो डॉक्टर और जेलर के दीच मेरे प्रति वर्ताव के विषय मेंझगड़ा द्वोता | तत्र मेरी सहवाहुभूति वरावर जेलर दी के पत्त मे रहती। जेज्र श्रनुमणी आदमी था एक सार्गी था। पर अपने कर्तव्य को भ्नी भांति जानता था। मि० केलनवेक को प्रिटोरिया की जेल मेंभेजा गया। भौर सि० पोलक फो जमिस्टन की जेल में।

पर सरकार की ये तमाम व्यवस्थायें निरथक थीं। अब चो

आकाश दी फटने लगा उसे आदमी कहाँ कहाँ पैवन्द लगा सकता था नावाज्ञ के भारतीय गिरमिटिया पूरी तरह जाग उठे छे। अब उन्हें कोई सत्ता रोक नहीं सकती थी |