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अफ्रीका का सत्याग्रह

धारा घनाई कि जिसके अनुसार जहां जहां सेसत्या्रद्दी गिरमिटिया

भाग आये थे, उसी स्थान को जेज् बताया गया । और उन खानों

के नौफरों को बना दिया गया जेल के दारोगा। इस तरद जिस बात का मजदूरों ने व्याग किया था वही वात सरकार ने बलात्कार प्वेऊ उनसे करवाई और इपतरद खाने शुरू कर दी गई” गुलामी' ओर नौकरी भे फक्े सिर्फ इतना ही है कि यदि नौकर चोकरों छोड़कर चला जाता है. तो उस पर दीवानी अदालत में दावा पेश

किया जा सकता है । किन्तु यदि गुज्ञाम नौकरी छोड़ कर चत्ा

जाता हैतो उसे जबरदस्ती से पुनः काम पर लगाया जा सकता है। अर्थात्‌ अतवे मब्दूर परेगुलाम हो गये ।

पर यद्दीकाफी नहीं था। मजदूर तो बद्दादुर थे। उन्होंने' खानों में काम करने से साफ इन्कार कर दिया। नतोनायह हुभा

फ्ि कोड़ों कीमार सहनी पढ़ी। जो उद्धत आदमी 'शणभर में इस धारा के अनुसार अविकारी वना दिये गये थे। उनकीबन आई। वेलगे इन मजदूरों फो लातोंसे मारने भर गालियों कोवोछ्ार' करने |और भी 'अमनेक प्रकार के भ्रत्याचार वे करने क्गे। पर इत गरीब मजदूरों नेवह सव शाति केसाथ सह लिया। इन

अत्याचारो के तार भारतवर्ष पहुंचे। तार से सभी खबरें गोखल्े गो फो भेजी जातो थीं। एक दिन भो पूरा व्योरेवार ताएन मिलता

तो वे ढांट कर पूछते । वे अपने विश्लर पर पढ़ेपढ़ेदी इन वारों फा प्रचार किया करते थे ।क्योंकि उन दिलों वे बहुत बीमार ये |

किन्तु दक्षिण आफ़िका के क्राम को स्वयं देखने का भामद

उर्दोंने नहीं छोड़ा ।और इसमे न उन्होंने रात फी परवा की न

दिन की । फ्ल यदद हुआ कि 'देश भर मे वह आग फेल गई।

उन दिनों भारतवर्ष में दक्षिण अफ्रिका का सवाज्ञ एक मुख्य पस्रवात देन वाया ।

हु

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