पृष्ठ:दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह Satyagraha in South Africa.pdf/४५९

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श्ष्प

अ्रफ्रीफा का सत्योग्रद

अफ्रिका जाने के लिए निकल पढ़े।

पर अब तो युद्ध समाप्त होने को था ) हजारों निर्देश आद-

मियरों को जेश मेंरखने को ताकत दक्षिण 'अफ्रिसा की सरकार मे नहीं थी। वाइसराय भी उसे सद्दन नहींकर सकते थे । सारे संत्तार फी नजर इस बात पर लगी हुई थो कि अब जनरत्न स्मद्स क्या

फरते हैं ), इस समय जनरत्ञ स्मद्स ने भी पही किया जो ऐसी हाक्षत मे अन्य सरकार करती है।यो जांच तो किसी बात की करना

नहीं थी। जो कुद्द भी भरन्याय ह्वोरद्दा था, वह तो प्ररट दी था ।

सय॑ जनरत्ञ स्मट्स इस बात को महसूस करते थे कि निःसन्देह

अन्याय हो गया हूँशरौर चाइते थे कि उसका दूर होना जरूरी है। पर इस समय “भई गति सांप छुछ्ूदरकेरी” बाला उनका द्वाल हो रहा था। वेइस समय इन्साफ तोकरना चाहते थे,पर इस शक्ति को अपने हाथों से खो बैंठे थे । क्योंकि दक्षिण आफ्रिका के गोरों को वेइस बात का आशासन देचुके ये कि वे स्वयं उस तीन पौंड

वाक्े कर को रद न करेंगे, भौर न कोई अन्य सुधार ही करंगे। पर अब तो वे उध्त कर को उठाने तथा अन्य सुधार भी करने के लिए मजबूर हो रहेथे । ऐसी विचित्र स्थिति सेनिकलने के ज्िए लोकम्रत सेढराने वाज्ञे राज्य हमेशा कमिशन की नियुक्त करतेहैँ। फेसिशन नाम मात्र की जाच कर कषेता है। क्योंकि उसका परि*

णामर तो पहले द्वी से सब--विदित सा दोवा है! इधर कमिशन ने सिफारिश की नहीं, कि उस पर अमल्ल हुआ नहीं, यद्दी सामात्य

  • शरथा है। अर्थात्‌ साघारणतया सरकारें जिस न्याय को पहिले

देने में इन्कार करतो हूँ,वहो कमिशन की सिफारिश के आधारसे पर फिर बाद मेंउनको देना पड़ता है| जनरल स्मट्स के कमि* शन में तीन सभ्य नियुक्त किये गये। भारतीय ज्ञनता ने इस

फमिशन फे विषय मेंबुध शर्तें पेश कीं, और यह प्रतिज्ञा के पी